Thursday, July 30, 2020

224:-लोग क्या कहेँगे।

जरा  धीरे बोलों
लोग क्या कहेंगे
ऊपर मत जाओ
लोग क्या कहेंगे
घर से ना जाओ
लोग क्या कहेंगे
अकेले न जाओ
लोग क्या कहेंगे
दुप्पटा  लगाओ
लोग क्या कहेंगे
बात मत  करना
लोग क्या कहेंगे
सर नही उठाना
लोग क्या कहेंगे
नौकरी न करना
लोग क्या कहेंगे
यही सोचते रहो
लोग क्या कहेंगे
लोग क्या कहेंगे

अविनाश सिंह
8010017450

223-आलेख।

आखिर कोरोना योद्धा सम्मान के असली हक़दार कौन हैं?अविनाश सिंह।
कोरोना वैश्विक महामारी से जहाँ पूरा देश जूझ रहा है वही कुछ लोग इस महामारी में देश के लिए ढाल बन कर आये है जो अपनी जान की परवाह किये बिना सभी की मदद कर रहे हैं। आपनी जान जोख़िम में डाल कर सभी को जीवन दे रहे है।
यह एक गंभीर प्रश्न है जिसपे हमें विचार करना चाहिए, आज जिसे देखों वह कोरोना योद्धा सम्मान लेकर स्वयं को कोरोना योद्धा मान रहा हैं जो की गलत है और यह सम्मान की गरिमा को कही न कहीं आहत पहुँचा रहा हैं। हमारे प्रधान मंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने पूरे देश से आह्वान किया था की डॉक्टर,पत्रकार और पुलिस जो निरंतर कोरोना काल में अपने परिवार से दूर रह कर सभी की सेवा कर रहे है वही इसके असली हकदार हैं किन्तु इसका उल्टा देखने को मिल रहा हैं,आम जनता इस सम्मान को लेकर स्वयं में फूला नही समा रही हैं और असली हकदार पीछे रह जा रहे हैं।
इस संकट के काल में पत्रकार जो हमारे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ होते हैं सुबह से शाम तक खबर ला रहे हम सभी को जानकारी दे रहे हैं आज उनके साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है जैसा की ग़ाज़ियाबाद में विक्रम जोशी के साथ देखने को मिला था।.उनकी निर्मम हत्या कर दी गयी। यह देखने को मिल रहा है कोई दो चार कविता लिख कर खुद को कोरोना योद्धा मानने लगा हैं कोई दो चार मास्क आदि बांट कर खुद को कोरोना का सम्मान ले रहा, कोई सेमीनार आदि कर के यह सम्मान इक्कट्ठा कर रहा हैं।
मैं अविनाश सिंह स्वयं एक कवि और समाज सेवक हूं किन्तु मैं इस सम्मान का बहिष्कार किया है लेने से और हर संस्था को मना किया हूं मुझे इस सम्मान से न सम्मानित न किया जाए। दो चार कविता लिख कर कोई कवि बन जाता है तो उन लोगों से निवेदन है दो चार अच्छे कार्य करके भगवान भी बन जाए। यह सम्मान की गरीमा कुछ संस्था अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए बांट रहे है जो की गलत है इस सम्मान का असली हकदार वही है जो निरंतर अपनी सेवा भाव से कोरोना से लोगों की जान बचा रहा है जैसे डॉक्टर पत्रकार पुलिस आदि।
यदि आप कुछ नही कर सकते है तो इस सम्मान के आप हकदार नही हैं कुछ नही यदि कर सकते है तो कम से कम रक्त दान ही कीजिये तब भी आप इस सम्मान के हकदार रहेंगे। मैं पूरे देश से यह आग्रह करुंगा की असली कोरोना योद्ध को ही इस सम्मान से नवाज़ा जाए।

अविनाश सिंह
8100017450

222:-आलेख।

राफेल का भारत आने पर लोगों में खुशी की लहर।अविनाश सिंह।

सन 2019 से ही जबसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी द्वारा राफेल के भारत आने की खबर मिली थी तब से लोगों के बीच में एक खुशी की लहर थी काफी लंबे काल के बाद आखिर वह वक़्त आ ही गया जब फ्रांस से पांच राफेल भारत की धरती पर आ गया है और सुरक्षित अंबाला पहुँच चुका हैं इससे सिर्फ बॉर्डर ही नही अपितु यह पूरे देश की सुरक्षा के लिए उठाया गया सबसे बड़ा कदम है।
कोरोना काल में जब पूरा देश परेशान है कोई अच्छी खबर नही सुनने को मिल रही थी तब राफेल के भारत आने की खबर से पूरा देश झूम उठा है कही मिठाई तो कही हवन पूजन हो रहा है और होना भी जरूरी है क्योकि यब हमारे देश की सुरक्षा व्ययस्था की बात है। जिस प्रकार से चीन और पाकिस्तान आये दिन भारत पर अपनी अभद्र हरकते करते हैं उसके मद्दे नज़र यह कदम सरकार की तारीफे काबिल हैं।
राफेल लड़ाकू विमानों का भारत में आना हमारे सैन्य इतिहास में नए युग की शुरूआत की यह एक सराहनीय कदम हैं जिसका सभी को बेसब्री से इन्तेजार था। राफेल में अनेक ऐसे मैकेनिज्म है जिसके द्वारा कई सौ किलोमीटर दूर से दुश्मनों के छक्के छुड़ाया जा सकता है।इसमें अनेक ऐसे आधुनिक तकनीकी है जैसे यह 2130 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार से उड़ने में सक्षम हैं,3700 किलोमीटर तक इसकी मारक क्षमता है,यह लगातार 10 घंटे उड़ सकता है एक मिनिट में 60 हजार फुट की ऊंचाई पर जा सकता है,हवा में ईंधन भरा जा सकता है।

अविनाश सिंह

8001017450

221:-आलेख।

कैसे मनाये रक्षाबंधन पर्व इस कोरोना वैश्विक महामारी में।

जी हा,अगस्त का महीना जल्द ही आ रहा है और इसी अगस्त के पहले सप्ताह में पड़ने वाला है सम्पूर्ण देश में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व रक्षाबन्धन। किन्तु इस वर्ष रक्षाबंधन कुछ ख़ास होने वाला क्योंकि इस बार देश में कोरोना जैसी महामारी हैं जिसनें घर से दूर जाना क्या घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी हैं।
ऐसे में रक्षाबंधन पर्व कैसे मनाये यह एक प्रश्न है यदि किसी की बहन घर से दूर है या भाई घर से दूर है तो कोशिश रहे की न उसके घर जाए ना ही उसे घर बुलाये।रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का पर्व हैं जिसमें बहन भाई की कलाई पर रेशम की डोर बांंधती हैं और उसके लंबे उम्र की दुआ करती है इस रक्षाबंधन पर आप कोशिश रहे की बाज़ार से राखी न खरीदे अपितु अपने हाथों से बनाये।
यदि आप घर से दूर है तो आप राखी कूरियर आदि से भेज दीजिये या राखी बना कर रख लीजिये जैसे ही कोरोना खत्म होगा जब भी आपकी मुलाकात होगी आप राखी बांध सकते हैं। यह जरूरी नही की भाई बहन का प्रेम सिर्फ रक्षाबंधन के दिन ही दिखें। आप अपने भाई के लंबे उम्र की दुआ करिये घर बैठ कर ही उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करिये।
कोरोना ऐसा वायरस है जो एक दूसरे के संपर्क में आने से फैल रहा हैं जिसमें एक दूसरे से दूरी बना कर इससे बचा जा सकता हैं सोशल डिस्टनसिंग का पालन कर इससे बचा और अन्य लोगों को बचाया जा सकता हैं। ऐसे में रक्षाबंधन पर्व पर बाजार से लगाए कही बाहर न जाए और यह पर्व घर पर रह मनाइए। यदि जिंदगी है तो जीवन में कई बार रक्षाबंधन मनाया जा सकता हैं इस लिए इस कोरोना पर अपने घर रह कर रक्षाबंधन मनाये और वीडियो कॉलिंग आदि का सहारा लेकर इस पर्व को खास मनाइए।

अविनाश सिंह
8010017450

220:-आलेख।

अयोध्या राम मंदिर पूजन में कौन सी सामग्री कहाँ से आ रही हैं।
अब वह दिन दूर नही जब अयोध्या राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने वाला हैं जिसकी तैयारियां जोड़ो पर हैं कई दशकों की कठिन तपस्या के बाद अयोध्या में राम लला का भव्य स्वागत टेंट से मंदिर में होगा जिसकी नीव 5 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के कर कमलो द्वारा सम्पन्न होगा।
राम जी की जन्म नगरी अयोध्या अब सजने लगी है रोड़ सड़के आदि चौड़े होने लगे हैं सभी को बेसब्री से इन्तेजार हैं 5 अगस्त के तारीख का जिस दिन मंदिर पूजन और नींव रखी जाएगी। इसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होगा और अयोध्या में विशाल मंदिर का निर्माण होगा।
इस मंदिर के बनने वाले नींव में देश के सभी पवित्र स्थलों से लाई गई मिट्टी डाली जाएगी। इसी क्रम में  देश की राजधानी दिल्ली के कई पवित्र स्थानों की मिट्टी पीतल के कलशों में भरकर अयोध्या भेजी गई हैं इसे पांच अगस्त को निर्माण के दिन मंदिर की नींव में डाला जाएगा। 
अयोध्या मंदिर निर्माण के लिए देश की प्रमुख नदियों का जल भी एकत्र किया गया हैं जिसे मंदिर के नींव में डाला जाएगा।
इसी कर्म में भोलेनाथ की नगरी काशी से अनुष्ठान के दौरान नींव में स्थापित करने के लिए सोने के शेषनाग के साथ चांदी का कच्छप,चांदी के पांच बेलपत्र,सोने की वास्तुदेवता, सवा पाव चंदन और पंचरत्न जाएगा। इन सभी सामग्री को  अयोध्या ले जाने से पूर्व बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया जाएगा। इस मंदिर के निर्माण हेतु कई करोड़ हिन्दू परिवार से दान आदि लिया जाएगा जो भी प्राप्त सहयोग होगा वह मंदिर के निर्माण कार्य में लगाया जाएगा।
अयोध्या मंदिर को लेकर देश की उच्च अदालतो में कई वर्षों से केस चल रहा था जिसका फैसला 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर के निर्माण में फैसला दिया गया और अब 5 अगस्त को मंदिर की पहली ईंट मोदी जी द्वारा रखी जाएगी। जिसका सभी को बेसब्री से इन्तेजार है किन्तु इस मौके पर आम जनता को दर्शन करने के लिए पाबंधी लगाया गया हैं वह घर रह कर पूजा अर्चना  कर सकते है और सीधा प्रसारण टीवी के माध्यम से देख सकते हैं।

अविनाश सिंह
8010017450

219:-आलेख।

नई शिक्षा नीति 2020  क्या हैं कुछ खास आइये जानते है।
बदलते परिवेश के साथ शिक्षा नीति में भी कुछ बदलाव की आवश्यकता थी अभी तक भारत में 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति ही लागू था जिसमें 1992 में कुछ परिवर्तन करके नई शिक्षा नीति 1992 लागू किया गया जिसे प्रोग्राम ऑफ एक्शन 1992 के नाम से जाना जाता हैं। इस नीति में कुछ बदलाव तो जरूर किया गया था किन्तु ये परिवर्तन बहुत विशेष नही थे और मोदी सरकार द्वारा अपने शासन काल में यह घोषणा की गयी थी की एक नई शिक्षा नीति का गठन किया जाएगा।
बुधवार को इस निर्णय पर मोहर लग गया और अब नई शिक्षा नीति सम्पूर्ण भारत में लागू कर दी गयी हैं और इसी के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया हैं। कैबिनेट की मंजूरी से करीब 34 साल बाद देश की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव और सुधार किया गया है। इसरो के प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने नई शिक्षा नीति 2020 तैयार किया था जिसे कैबिनेट की बैठक ने बुधवार को मंजूरी दे दिया।
 इस नीति के तहत प्राथमिक स्तर (पाँचवी क्लास तक) पर मातृभाषा या स्थानीय भाषा में शिक्षा का प्रावधान है इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता हैं विदेशी भाषा सेकेंडरी लेवल से होगी,किसी भी भाषा को छात्रों के ऊपर थोपा नही जाया जाएगा। शिक्षा की मुख्य धारा से वंचित बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का नए शिक्षा केंद्रों की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है।जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा में लगाया जाएगा। स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा।
 इस नीति के अंतर्गत बुनियादी शिक्षा और संख्यानतक ज्ञान पर विशेष बल दिया गया हैं।
 सामाजिक और आर्थिक नज़रिए से वंचित समूहों की शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा। यह नीति 3 से 18 वर्ष आयु के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता हैं। इस नीति में सबसे खास हैं मल्टीप्ल एंट्री और एग्जिट सिस्टम को लागू करना जिसके तहत बीच में शिक्षा से वंचित छात्रों को लाभ मिलेगा। नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये आज़ादी भी होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाख़िला लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं।
इस शिक्षा नीति में और भी बहुत से प्रावधान हैं जिसके माध्यम से शिक्षा जगत में सुधार किया जा सकता है और शिक्षा का स्तर ग्लोबल स्तर पर लाया जा सकता हैं जिसके लिए सरकार और कैबिनेट द्वारा प्रयास किया जा रहा हैं नई शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति के रूप में  उभर कर आएगी। जिसका पूरे देश को कई सालों से इन्तेजार था।

अविनाश सिंह
8010017450

Sunday, July 26, 2020

218:-वर्ण पिरामिड।

ये
बेटी
फूल सी
तोड़ो  नही
साथ  इसका
कभी छोड़ो नही
भ्रूण में  मारो नही।

ये
चीन
है जीरो
बने  हीरो
दिया करोना
खुद लगा रोने
भारत लगा धोने।

थे
कवि
प्रसिद्ध
गीत कार
ग़ज़ल कार
गोपाल नीरज
कारवाँ चला गया।

ये
हिंदी
है भाषा
मातृभाषा
प्रमुख भाषा
हिंदुस्तानी भाषा
देश की राजभाषा।

अविनाश सिंह
8010017450

Monday, July 20, 2020

217:-आलेख।

कोरोना काल ग़रीब जनता बेहाल दुकानदार मालामाल:-अविनाश सिंह।

यह कहना गलत नही होगा की कोरोना वैश्विक महामारी से आज पूरा देश आज जूझ रहा हैं जब से यह कोरोना देश में आया है तब से कोई सबसे अधिक ग्रषित हैं तो वह है गरीब तपके के लोग जैसे गरीब महिला,किसान और मजदूर। जिन्हें अनेक प्रकार के दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शुरुआत से ही देखने को यह मिल रहा है की गरीब मजदूर पैदल कई सौ किलोमीटर की यात्रा पैदल कर के जैसे तैसे अपने घर पहुँचा हैं।
भले सरकार इन्हें कितना भी राशन दे रही हो या खाने का इंतेजाम कर रही हो किन्तु बीच में कही न कही सरकारी साठगांठ की वजह से उन्हें उनका हक नही मिल पा रहा हैं आधा से अधिक राशन तो बनिया के दुकान पर आ जा रहा है और ग़रीब को मिल रहा तो सिर्फ ना के बराबर। बेचारे मजदूर अपनी व्यथा किससे कहे ,कहाँ जाए। इस लोकडौन में सबसे अधिक चांदी है तो वह है किराना स्टोर की वो मजबूरी का कही न कही फायदा उठा रहे हैं और वस्तुओं के मूल्य से कही अधिक दाम पर बेच रहे है। जिसे ग़रीब मजदूर खरीदने पर मजबूर है।
ऐसा लगता है सारे नियम कानून सिर्फ गरीब वर्ग के लिए ही बनाया गया हैं उन्हें इस कोरोना काल में बेरोजगार होना पड़ा, कितनो ने तो जान दे दी, कितने बेघर हो गए इस बेरोजगारी के चलते। सरकार ने नियम तो जरूर बनाये हैं पर नियम सिर्फ ग़रीब जनता पर लागू हो रहा हैं और किसी पे नही, सरकार कालाबाजारी रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं जिसका फायदा बड़े दुकानदार और किराना स्टोर वाले उठा रहे है।
सिर्फ यहीं नही ग़रीब जनता कई अन्य प्रकार की समस्या से प्रभावित हो रहे है जैसे उन्हें सही समय पर इलाज नही मिल रहा,उनका कोरोना टेस्ट नही हो रहा हैं,उन्हें कोरोना बीमारी के समय में राशन की समस्या से जूझना पड़ रहा है जिसका खामियाजा में वो अपनी जान गवा रहे है। सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर इसपर ध्यान देना चाहिए और नियम तोड़ने वाले को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए,गरीबों का हक आज सरेआम बाजार में ऊँचे दाम पर बिक रहा और उसे ही गरीब खरीदने पर मजबूर है।
मैं अविनाश सिंह आप सभी से निवेदन करता हूं की कहीं भी आप अगर ऐसी परिस्थिति देख रहे तो उसकी शिकायत सरकार के उच्च अधिकारियों से करिये और ग़रीब को उसका हक दिलाइये।

अविनाश सिंह

Sunday, July 19, 2020

216:-पंक्ति।

न हिन्दू का भेद हुआ और न मुस्लिम को खेद हुआ
देखों आज किसी को किसी से न कोई मतभेद हुआ
सब आज देश को बचाने के खातिर बाहर आये है
तब जाकर कोरोना को खत्म करने का संकेत हुआ।

अविनाश सिंह
8010017450

215:-पंक्ति।

सामने से रहते है जो साफ
मन में ही रखते है वो पाप
सामने से जो करेगा तारीफ 
पीठ पीछे वही करेगा बुराई

अविनाश सिंह
8010017450

214:-पंक्ति।

जिन्हें हमनें अपना समझा 
वही हमारे बेगाने निकलें
जिनका हमनें सम्मान किया
उन्होंने हमारा तिरस्कार किया
हम सब कुछ बस सहते रहें
उन्हें हम अपना कहते रहें
फिर भी हमें वो नही मिले
हाथ समझ कर थामा जिनकों
वो काँटो से लिपटे निकले।
फूल समझ कर संवारा जिन्हें
शूल बन कर वह मिले हमें।

अविनाश सिंह
8010017450

213:-पँक्ति।

आज दूरी जरूर है पर प्यार अब भी वही है
मेरी मजबूरी है  वरना बात अब भी वही हैं
यू तो  मिलने  का सफर यूँही चलता  रहेगा
बस ज़ाम अलग हैं पर नशा अब भी वही हैं

अविनाश सिंह
8010017450

212:-हाइकु।

फूलों का हार
बदल लेता रूप
बनता फंदा।

रोई दुल्हन
विदाई के समय
कैसे हो खुश।

प्रेम का धागा
जब भी है टूटता
हो जाए छोटा।

उसका हार
करता है प्रहार
यही संहार।

दुल्हा तो हँसे
दुल्हन लगी रोने
कैसा रिवाज़।

अविनाश सिंह
8010017450

211:-आलेख।

शिक्षा वह कुंजी है जो हर सफलता के दरवाज़े को खोलती  हैं।-अविनाश सिंह।

जिस प्रकार हमें जीने के लिए वायु की आवश्यकता होती है,ठीक उसी प्रकार जीवन में सफल व्यक्ति बनने के लिए शिक्षा का बेहद महत्व हैं शिक्षा के बिना जीवन में सफलता के किसी भी सीढ़ी को नही चढ़ा जा सकता हैं। यह किसी बच्चें के सर्वांगीण विकास से लगाये देश के विकास और सशक्तिकरण का स्तम्भ होता हैं।
शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान से न होकर वास्तविक ज्ञान से होना चाहिए,शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य के नैतिक मूल्यों का विकास होना चाहिए।भारत के संविधान रचयिता बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी का त्तीन ही सूत्र था- शिक्षा, संगठन और संघर्ष। वे आह्वान करते थे,शिक्षित करो, संगठित करो और संघर्ष करो। पढ़ो और पढ़ाओ।शिक्षा में कभी भी भेद भाव नही होता है यह सबके लिए समान होती है।
हमारे समाज में बेटियों को शिक्षा से वंचित किया जाता,उसे घर के कामों में उलझाया जाता हैं पिता को उसके जन्म से उसके शादी की चिंता होती है किन्तु वही पिता उसके शिक्षा के बारे में नही सोचता। ऐसा करना किसी पाप से कम नही है, शिक्षा शेरनी के दूध की तरह होती है जो जितना पिएगा उतना ही दहाड़े गा इसलिए आधी रोटी कम खाओ लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाओ।
शिक्षा जीवन की वह  कुंजी है जो सारे सफलता के दरवाजे खोल देती है,शिक्षित व्यक्ति हर जगह पूजे जाते है हर जगह उन्हें सम्मान मिलता है,शिक्षा के बिना जीवन का कोई भी उद्देश्य नही है।कोई व्यक्ति गरीब या अमीर नही होता है यह शिक्षा ही है जो किसी को गरीब या अमीर बनाती है। ‘सा विद्या या विमुक्तये’ अर्थात शिक्षा वही है जो हमे  मुक्ति दिलाती है। जो हमें उचित अनुचित का ज्ञान प्रदान करती है।
शिक्षा वह साधन है जिसके माध्यम से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है हर युद्ध लड़ा जा सकता है हर कार्य को सरल और सहज बनाया जा सकता है।जो देश जितना प्रगति कर रहा है उस देश की शिक्षा का स्तर भी उतना ही ऊपर है चाहे वो अमेरिका ही क्यों न हो।
जीवन में शिक्षा का कोई अंत नही है,आप जब तक जीवित है तक तक शिक्षा ले सकते है चाहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में। मैं अविनाश सिंह पूरे समाज वर्ग से यह प्रार्थना करता हूं की भले आप एक रोटी कम खाइए किन्तु अपने आने वाले भविष्य को शिक्षित जरूर करियेगा ताकि हमारा देश एक समृद्धशाली देश बन सके।

अविनाश सिंह

8010017450

210:-पंक्ति।

समाज  ने नहीं दिया  हमें रोटी
फिर भी सुने हम उसकी खोटी
नही दिया हमें रहने को भी घर
फिर भी हमें कर  देता है बेघर

समाज ने नही दिया हमें जन्म
पर कर देता है ये क्रिया करम
नही दिया हमें कोई  सुख चैन
पर कर देता है जीवन  बेचैन।

अविनाश सिंह
8010017450

Friday, July 17, 2020

209:-पंक्ति।

खुदा हर समय मेहरबान हो जरूरी नही
पेड़ के हर फल मीठे हो यह जरूरी नही
तुम्हरा काम है अपने हर कर्मो को करना
खुदा उस कर्मों से खुश हो ये जरूरी नही

अविनाश सिंह
8010017450

208:-पंक्ति।

दिल से जो  निकले  बात  वो असर करती है
बिन बहर में लिखे ग़ज़ल कब बसर करती है
ये तो लेखक  के दिल और कलम की बात है
वरना मेरे लिखे बिना वो कई सवाल करती है

अविनाश सिंह
801007450

207:-पंक्ति।

खुदा अपने करम से तू  सही राह  दिखा देना
अगर भटकूँ मैं कही पे तो मेरा मार्ग बना देना
भूला देना मेरे  गलतियों को एक बच्चा समझ
शिष्य बना मुझे सच का मशाल पकड़ा  देना।

अविनाश सिंह
8010017450

206:-आलेख।

परीक्षा में कम अंक आने पर भी नही होना निराश या परेशान :-अविनाश सिंह।

जी हां,जैसा   की आपको विदित है की बोर्ड के रिजल्ट आने  शुरू हो गए हैं और हर बोर्ड में एक से एक धुरंधर निकल रहे हैं कोई 100 प्रतिशत तो कोई 99 प्रतिशत अंक प्राप्त कर रहा हैं। और इसमें कुछ ऐसे भी है जो की विभिन्न परिस्थितियों के कारण अनुत्तीर्ण हो रहे या कम अंक प्राप्त कर कर रहे हैं। किन्तु इसका यह मतलब नही की जिंदगी यही खत्म हो गयी है या इसके आगे कुछ नही हैं। यह तीन घंटे का पेपर आपकी जिंदगी नही बदल देगा, किन्तु आप यदि प्रयास करेंगे तो अनेकों सफलता हासिल कर सकते हैं।
अक्सर अखबारों में यह पढ़ने को आ रहा की कम अंक आने की वजह से वह डिप्रेशन या आत्मदाह कर लिया,यह एक दम अनुचित कदम हैं जीवन में सफल सिर्फ 90 प्रतिशत अंक लाकर नही हुआ जा सकता हैं इसके अन्य माध्यम भी हैं सफल होने के, जो अध्यापक आपकी कॉपी की जाँच कर रहा होगा वह भी जीवन में आपसे कम अंक प्राप्त किया होगा किन्तु आज वह उस लायक है की आपको अंक दे रहा हैं।
जीवन में सफल होने का मतलब हैं आप एक अच्छे नागरिक बनिये, एक अच्छे बेटा बनिये, एक अच्छे शिष्य बनिये, एक अच्छे पिता बनाइये यही असली सफलता हैं।परीक्षा के अंक आपको कही पर काम आएगा वह भी आज के कंपीटिशन के दौर में एक काजग के टुकङे समान है।
अनेको ऐसे महान पुरुष हुए जो असफलता को सफलता की कुंजी माने। जिसके प्रत्यक्ष उदहारण थे राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी जो स्वयं आर्मी के चयन बोर्ड से कई बार बाहर हुए थे, किन्तु वह हिम्मत नही हारे थे और आज उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है।
मैं अविनाश सिंह स्वयं एक कवि होने के नाते अपनी बात बताऊँ तो मैं शुरू से 90 प्रतिशत के ऊपर अंक प्राप्त किया अनेको बोर्ड में। किन्तु आज सारी डिग्री एक कोरे कागज के समान हैं जिसका कुछ ही महत्व है। आप स्वयं में एक यूनिक इंसान है आपके अंदर अनेको छमता है जिसे आपको स्वयं पहचानना है और उसपर कार्य करना है और एक दिन सफलता आपके कदमों को चूमेगी।
यदि इन सब बातों पर भी आपको विश्वास नही है तो आप अपने अभिभावकों से उनके बोर्ड के अंक पूछियेगा वो आपको स्वयं बताएंगे की वो कितने अंक अपने समय में प्राप्त किये थे।आप यह सोचिये जो आपने पाया है वह आपकी मेहनत का फल है और मेहनत का कोई अंत नही तो इस बार कम किये मेहनत तो कम फल, अगली बार और दुगने रफ्तार से मेहनत करके और अच्छा फल प्राप्त करना है।
कभी गलत कदम उठाने से पहले अपने परिवार के सदस्यों के बारे में सोचिएगा,मैं अभिभावकों से भी अनुरोध करता हूं की यदि आपके बच्चे के कम अंक आये है तो उसे प्रोत्साहित करिये की आगे और अच्छा करें ना की उसपर दबाव बनाये या उसे प्रताड़ित करे। मैं कुछ पंक्तिया देता हूं जिसे अपने जीवन में उतरियेगा।-
सफलता दूर है पर नामुम्किन नही,कदम छोटे हो पर रुके नही।जरूरी नही हर किसी को मुकाम मिल जाये,सफलता के परचम भी हर कोई फहरा जाए। मिलेगी सफलता कुछ प्रयासों के बाद,होगी खुशी दूगनी इसी मंजिल के साथ। प्रयास करो,प्रयत्न करो भूल करो,अभ्यास करो,मिलेगी सफलता  बस थोड़ा तुम विश्वास रखो।न हारों हिम्मत बस कदम को तुम आगे बढ़ाओ,लड़खड़ाओ अगर तो अड़िग होके खड़े हो जाओ।

अविनाश सिंह
8010017450

205:-भोजपुरी।

अइसन  बीमारी  आइल  बा
मनवा ई  काहे  घबराइल बा
जे रहले  ई भगवान  देश  के
ऊ  बीमार  होके  आईल बा।

सावधानी ही बस  इलाज हवे
नाही कउनो  ऐकर  दवाई हवे
एक ग़ज़ की दूरी बनावे के बा
कोरोना  से  देश  बचावे के बा

ई कोरोना  नाही ई अभिशाप ह
इंसानी  कारतूतन के त पाप  ह
अब्बों से अपने में तू सुधार लाव
जिंदगी नाही आपन  दाव लगाव

मुँह नाक  हमेशा से ढकल करअ
हाथें के साबुन से तू धोवल करअ
भूल कर केहू से  हाथ न मिलइह
कबहुँ कहूं  के नगिचे न बईठइह।

घरवा में  सबकर ख्याल तू धरिह
माई के  काम  में  तू  हाथ बटइह
भूलवइह  जीन  तू  घरवा  आपन
सबही  के  संग  तू  प्यार  बटईह

कोरोना बीमारी ते कल चल जाई
बितल वक़्त फिर न वापस आयी
ऐसे ई समय के खुल के जी लिहा
माई बाउजी संग बईठ चाय पीहा।

अविनाश सिंह
8010017450


204:-भोजपुरी।

कबहु न सोचले रहनी अइसन समय आयी
मीतऊ  के गले लवागे में मन इतना घबराई
घर रोटी  के महंग भइल सब्जी ले अंगड़ाई
जाने कौन पाप के सजा भोगे हम सब माई

अइसन बीमारी हवे कोरोना न दर न दवाई
कहाँ मंदिरों में हम भगवानों के  दर्शन पाई
जोड़ के हाथ सामने  हम माफ़ी मांग आयी
कबहु न सोचले रहनी अइसन समय आयी

देख सामने एक दुसरे के सब नजर  घुमाई
अइसन लागे हम कउनो चोर उच्चका भाई
केहू न जाने  कोरोना कितनो जान ले जाई
कबहु न सोचले रहनी अइसन समय आयी

गरीब मजुर के देख दशा ई आँख भर आई
भूखे पेट छोड़ के रोजगारी पैदल चले भाई
नाही अब बचल परिवार ना कउनो  कमाई
कबहु न सोचले रहनी अइसन समय आयी

आधुनिकता में कहवा से अइल्स ई बीमारी
सब देशन में फइलल बा कोरोना महामारी
ना ऐकर इलाज हा ना ऐकर कउनो  दवाई
कबहु न सोचले रहनी अइसन समय आयी

अविनाश सिंह
8010017450

Thursday, July 16, 2020

203:-आलेख।

 कोरोना के बाद एक नए नव भारत का उदय होगा-अविनाश सिंह
जैसा की आप सभी को विदित हैं  की कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी हैं जिससे भारत देश लड़ रहा हैं,इस वायरस से देश में अनेकों मरीज रोजाना मिल रहे हैं और वर्त्तमान में कई सौ मौत हो चुकी हैं।कोरोना के बचाव हेतु अनेकसावधानियों को सरकार द्वारा और लोगों के द्वारा जनता को जागरूक किया जा रहा हैं।जिस प्रकार कोरोना से लड़ने के लिए सरकार प्रयास कर रही हैं आज नही तो कल यह देश से चला जाएगा,लोग आज कोरोना से लड़ने के लिए अनेक सावधानी कर रहे है जैसे मास्क का प्रयोग,हाथों की निरन्तर धलना आदि किन्तु कोई कल के बारे में नही सोच रहा हैं कल कब कोरोना इन देश से चला जाएगा तो हमे स्वयं में अनेकों परिवर्तन करना है जो हमें, हमारे परिवार के लिए, हमारे     समाज, देश के लिए जरूरी हैं,कोरोना भले ही घातक है किन्तु इसनें अनेकों सीख लोगों को दिया हैं।
मैं अविनाश सिंह एक कवि होने के नाते आपको कुछ  परिवर्तन बता रहा हूं जिसे आप अपने दैनिक जीवन में कोरोना के जाने उपरांत जरूर अपनाएगा, जैसे घर के कामों में महिलाओं के साथ हाथ बटाना,घर पर कुछ न कुछ हरे सब्जी गमलों में निरंतर उगाना,यातायात का कम से कम प्रयोग करना,काम वाली बाई,नौकरों के साथ हमेशा प्रेम भाव रखना,गरीबों को हफ्ते में एक दिन भोजन कराना,गंदगी कम से कम करना,ऑनलाइन कम ऑफलाइन स्टोर से सामान खरीदना,साल में एक बार पौधरोपण करना,अपने से बड़ो का हमेशासेवा करना,डॉक्टर,पुलिस,नर्स,पत्रकार,किसान,सरकारी कर्मचारियों का सम्मान करना,आस पास सफाई रखना,छोटे काश्तकारों से सामान या वस्तुएं खरीदना आदि।कोरोना के जाने के बाद गाड़ी फिर से वही पटरी पर आएगी किन्तु हमें अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक और सतर्क रहना होगा यदि इन सभी नियमों का पालन किया जाए तो निश्चित कोरोना के बाद एक नव भारत का निर्माण होगा।

अविनाश सिंह
8010017450

Monday, July 13, 2020

202:-पंक्ति।

हर आँगन  खुशहाल  रहे  बिटियां  के आने  पे
न डूबे पिता का सर कर्ज में बिटियां के जाने पे
फिर न होगा कोई लेन देन ना होगा कोई सौदा
तब बहू बनेगी  बेटी  ससुराल  में  भी  जाने पे।

अविनाश सिंह
8001017450

201:-पंक्ति।

दुल्हन  के संग  जाने  क्यों  नर संहार  हुआ
मेहंदी वाले हाथों को कालिख़ से प्यार हुआ
मिला नही  गाड़ी  जब  दहेज  के समान  में
बेटी  पर  बैलों  जैसा  फिर अत्याचार हुआ।

अविनाश सिंह
8001017450

200:-पंक्ति।

वह सपनें भी कुछ खास होते थें
जिसमें हम और तुम पास होते थें
अक्सर पकड़ लेता मैं हाथ तुम्हारा
भले सपने दिन के ही क्यों न होते थें।

अविनाश सिंह
8010017450

199:-पंक्ति।

पढ़े लिखें शिक्षित लोग जो 
अक्सर ऑफिस लेट पहुँचते हैं 
हमेशा काम वाली बाई को समय
पर आने की उम्मीद करते हैं 
और न आने पर भला बुरा सुनाते हैं।
कड़वा तो हैं पर सत्य हैं।

अविनाश सिंह
8010017450

198:-पंक्ति।

दूर रहने पर ही अपनों की अक्सर याद आती हैं
पास होने पर कभी किसी की याद नही आती हैं
तुम तो करीब हो घर  के यह सौभाग्य हैं तुम्हारा
वरना हम जैसो को घर की याद हर वक्त सताती है

अविनाश सिंह
8010017450

197:-पंक्ति।

न रहो उदास कभी तुम मुझे फिक्र होती हैं
दुखी तुम होती और अश्रु  मेरे निकलती हैं
मैं तुम्हारे राह के कांटो को भी चुन लेता हूं
तुम रोती हो जब भी मैं उसे भी सुन लेता हूं

अविनाश सिंह
8010017450

196:-पंक्ति।

जरा सा सब्र तुम कर के तो देखों
बातों को कभी अनदेखा कर के देखों
बहुत से पत्थर दिल भी पिघल जाएंगे
और राहों के शत्रु भी कम होते जाएंगे।

अविनाश सिंह
8001017450

195:-पंक्ति।

परिंदे  आजाद है आज हम कैद हैं
घर होकर भी हम सब क्यों सैड हैं
हमसे अच्छे तो यह  परिंदे निकले
वरना हम आज भी मैड के मैड हैं।

अविनाश सिंह
8010017450

194:-पंक्ति।

उस बाग से आज भी चीखें मुझे सुनाई देती हैं
बेगुनाहों की लाशें आज भी मुझे दिखाई देती हैं
बस खुद को बेड़ियों में जकड़ रखा है हम सब ने
वरना बदले की भावना हर आँखों में दिखाई देती हैं

अविनाश सिंह
8010017450

193:-पंक्ति।

इंसान को इंसान से अब इंसानियत कहाँ
पनप रही है मन में देखों  हैवानियत वहाँ
क्यों लोग एक दूसरे के प्रति कट्टर हो रहे 
है हिंदुस्तानी फिर क्यों आपस में बँट रहे

अविनाश सिंह
8010017450

192:-पंक्ति।

पिताजी के सामने झुकने का मजा ही कुछ और है
जितना मैं झुकता हूँ उतना ही अधिक सीखता हूं
जो दुनिया उनके कंधों पे बैठ कर देख लिया मैंने
उसे आज देखने के खातिर मैं दर दर भटकता हूं

अविनाश सिंह
8010017450

191:-पंक्ति।

वह दोस्त है वह मित्र है
वह आत्मा है परमात्मा हैं
वह शिक्षक हैं वह ज्ञान है
हम सबमें वह महान है
वह मंदिर है वह भगवान हैं
हर देवो में वह महान है
वह पत्थर है पहाड़ है
वह अन्न है वह दान है
वह पुस्तक है वह गीता है
उसी का नाम ही पिता है।

अविनाश सिंह
801017450

190:-पंक्ति।

पापा घर क्यो लेट आते हो
हर काम को तुम कर जाते हो
कभी नही तुम्हे थकते देखा
इतना कुछ कैसे सह जाते हो 
पापा घर क्यो लेट आते हो

सुबह जल्दी कैसे उठ जाते हो
हमारा नाश्ता तक बनाते हो
हमेंं स्कूल छोड़ने के खातिर
खुद काम पर देर से जाते हो
पापा घर क्यो लेट आते हो

कपड़े पुराने ही पहनते हो
कोई शौक नही रखते हो
हमें सब कुछ खिलाते हो
खुद भी भूखे रह जाते हो
पापा घर क्यो लेट आते हो

अविनाश सिंह
8010017450

189:-पंक्ति।

मैं सफल हो गया पापा 
थोड़ी ताली तो बजा दो
तुम्हारे पथ पर चल रहा
मुझे सीने से तो लगा लो।

मुझे याद आती है तुम्हारी
बताओ अब कहाँ जाऊ मैं
बिन तुम्हारे किसको मैं
अपना बेस्ट पापा कहूँ मैं।

देखों न पापा आज मुझे
मैं पास हो गया हूं  आज
मुझे भी गले लगा लो ना
मैं अच्छा बेटा बन गया हूं।

अविनाश सिंह
8010017450

188:-पंक्ति।

अब तो मैं बाहर भी अकेले घूम लेता
बिन बताये घर सब कुछ मैं कर लेता
बस उस कंधे की अक्सर तलाश रहती
जिसपे बैठ मैं दुनिया की सैर कर लेता।

अविनाश सिंह
8010017450

187:-पंक्ति।

पापा मुझे तुम स्टेशन छोड़ने आया न करो
मैं दुखी हो जाता हूं और मुझे रुलाया न करो
क्यों हमें तुम इतना  प्यार करते हो बताओ न
इस तरह नम आँखों को हमसे छुपाया न करो

अविनाश सिंह
8010017450

186:-पंक्ति।

पापा की फटकार से तो
हम अक्सर सहम जाते थे
सब कुछ छोड़ छाड़ हम
किताबों में लग जाते थे।

सुनकर उनकी आवाज़ को
हम शांत मन हो जाते थे
कही पापा को न पता चले
इस डर से हम सो जाते थे।

पर अब तो हम बड़े हो गए
अब कहाँ हमे असर होता हैं
उनकी हर बातो का अब
किसको अब सब्र होता हैं।

अविनाश सिंह
8010017450

185:-पंक्ति।

घर तो अब भी वही हैं बस वक़्त बदल गया
समाज भी आज वही हैं बस सोच बदल गया
अब तो लोगों से बात करने में भी डर लगता है
जो हमे अमृत देते थे वह अब विष में बदल गया

अविनाश सिंह
801017450

184:-पंक्ति।

रिश्ते में मिठास होना जरूरी होता
बातों को बर्दाश्त करना जरूरी होता
यह तो समझ-2 का फेर हैं इंसानों में
वरना अधिक मीठा से ही शुगर होता

अविनाश सिंह
8010017450

183:-पंक्ति।

जो अपने होते है उनसे ही तो लगाव होता
कभी झगड़ा तो कभी बुरा बर्ताव भी होता
पर इसका मतलब ये नही की रिश्ते तोड़ दो
बैठ कर बातें करो और उसे फिर से जोड़ दो

अविनाश सिंह
8010017450

182:-पंक्ति।

भले रहते हो बाहर गुस्से में पर
परिवार में हमेशा सामाजिक होना चाहिए
इतने आसानी से कहाँ बनता हैं परिवार
किसी सदस्य को न अभिमानी होना चाहिए
रूठना मनाना तो लगा रहता हैं अक्सर
परिवार में सदस्यों को पारिवारिक होना चाहिए

अविनाश सिंह
8010017450

181:-पंक्ति।

मिट्टी से ईंट और ईंट से निर्माण होता हैं घर का
प्रेम भाव से सजता है आंगन किसी के घर का
जरा सी बात को  मन मे ना  लेकर बैठना तुम
वरना चट्टान भी टूट जाता हैं छोटे छोटेकर्ण सा

अविनाश सिंह
8010017450

180:-पंक्ति।

घर को मंदिर मस्जिद सा सजाय रखना
प्रेम रूपी दीप को  उसमें जलाये रखना
जैसी रखते हो सोच मंदिर में जाते वक्त
वही सोच हमेशा घर में भी बनाये रखना

अविनाश सिंह
8010017450

179:-पंक्ति।

माँ  को मिट्टी  समझो तो पिता को ईंट
यही रखते हैं दोनों हर एक घर की नींव
बिन इनके नही होती परिवार की समृद्धि
तभी तो कहते माँ  है देवी तो पिता है पीर

अविनाश सिंह
8010017450

178:-पंक्ति।

होती हैं गाँव में सुबह जहाँ चिड़ियों की चहचाहट से 
उठते  है जहाँ  लोग यहाँ बगल पड़ोस की आहत से
यू तो सूर्य की किरणें पहुँचती हैं हर घर के आँगन में
बस शहर क़ी सुबह होती मोबाइल की झनझनाट से

अविनाश सिंह
8010017450

177:-पंक्ति।

मैंने शहर देखा है मैंने गाँव देखा है
जो शांति गाँव में हैं वो कहीं न देखा
यह तो मजबूरी हैं इंसान की वरना
मैंने पैकेट का दूध सिर्फ शहर में देखा

अविनाश सिंह
8010017450

176:-पँक्ति।

आओ कभी तुम्हें तो गाँव घुमाते है
यहाँ बाग और खेतों की सैर कराते हैं
तुमने देखें होंगे वहाँ मॉल और पीवीआर
यहाँ आओ तुम्हें हम प्रकृति से मिलाते हैं

अविनाश सिंह
8010017450

175:-पंक्ति।

न हमेशा लाइट मिलती हैं गाँव में
फिर भी सब खुशी से सो जाते हैं
वो ए.सी कार से घर वापस आते
फिर भी वह उदास नजर आते हैं

अविनाश सिंह
8010017450

174:-पंक्ति।

जो कहते है गाँव बहुत पीछे होता हैं
हम शहर वालों से बहुत नीचे होता है
उनको बता दूँ वो गलत सोच रखते हैं
हम गाँव वाले भेदभाव से ऊपर जीते हैं

अविनाश सिंह
8010017450

173:-पंक्ति।

क्यों रहते हैं भूखे  प्यास इसें जरूर जानो
ऐसा करके भूख की समस्या को पहचानों
अल्लाह के नजर में तुम्हें  सजदा करना हैं
हर गलती पर तुम्हे दीन से माफी मांगना है

अविनाश सिंह
8010017450

172:-पंक्ति।

क्यों न बेटी शब्द मिटा दिया जाए
बेटे में ही बेटी का रूप देखा जाए
न  होगा बेटी शब्द का प्रयोग कही
नही होगा बेटी पर अत्याचार कही

अविनाश सिंह
8010017450

171:-पंक्ति।

यदि तुम्हें लगता है जिंदगी में 
तुमनें बहुत कुछ कर लिया है,
बहुत सारा  नाम कमा लिया,
बहुत से लोग  तुम्हें जानते है 
तो ये प्रतिशत  निकाल लेना।
 
तुम्हें जानने वालों की संख्या
-----------------------------------×100 = _____%
कुल देश की जनसंख्या                  

पता चल जाएगा तुम्हें तुम्हारी औकात।

अविनाश सिंह
8010017450

170:-पंक्ति।

कुछ रिश्ते तो जलन से खत्म हो जाते हैं
तो कुछ रिश्ते वहम  से खत्म हो जाते हैं
इसमें गलतियों का क्या ही दोष दूँ जनाब
जहाँ लोग हमें साथ देख भस्म हो  जाते हैं

अविनाश सिंह
8010017450

Sunday, July 12, 2020

169:-पंक्ति।

शहर में  ऐसी तस्वीर आती कहाँ,
जमीन से तो इमारतें दिखती वहाँ
यब तो सौभाग्य है हम  गाँव से हैं
शहर में सूर्य किरण दिखती कहाँ।

अविनाश सिंह
8001017450

168:-पंक्ति।

सुना है  आसमां नीला रंग होता है
मैंने शहर को  धुँए से ढका देखा है
जब आज पहली बार गाँव में देखा 
तो आज नीला आकाश को देखा हैं

अविनाश सिंह
8010017450

167:-कविता।

ऐसा तेरा प्यार 
मिला मुझे यार

हुआ मैं दीवाना
पागल कहे जमाना

नही हैं घबराना
नही है शर्माना

हु मैं तेरे साथ
बिन कोई स्वार्थ

रहेगा प्रेम हमेशा
न मिला तुज जैसा

तुझसे मेरी बात
होते है जज्बात

तू बन मेरी राधा
मैं बनू तेरा धागा

अविनाश सिंह
8010017450

166:-पंक्ति।

कुछ  ऐसा लिखों की इतिहास बन जाए
गिनीज बुक में तुम्हारा नाम दर्ज हो जाए
नही लिख सकते अगर गीता और पुराण
तो कुछ पुस्तक ही लिख दो जिसे पढ़कर
तुम्हारे सन्तान को तुम पर नाज़ हो जाए।

अविनाश सिंह
8010017450

165:-पंक्ति।

हर चीज आसान  होगी
यदि प्रयास निरंतर होगी।

हिम्मत नही  हारना चाहिए
प्रयास हमेशा करना चाहिए।

मुश्किल को जो करे आसान
बनता वही हैं  सबमें महान।

सफलता मिले ये जरूरी नही
विफलता मिलने से दुखी नही।

हौसले से तो पहाड़ टूट जाते है
गिनीज बुक  में नाम हो जाते हैं

किसी प्रयास में मिलेगी सफलता
हर बार नही मिलती हैं विफलता।

अविनाश सिंह
8010017450

164:-पँक्ति।

दिखा  दिये लगा कर फ़ोटो माँ को प्रेम
दे दिए माँ को मातृदिवस पर भेंट सप्रेम
ऐसा तो बस आज  ही देखने को मिला
फिर अन्य दिन माँ को प्रेम  कहाँ मिला

अविनाश सिंह
8001017450

163:-पंक्ति।

माना तुमसे  मेरी बात नही होती
पर ऐसा नही तुम याद नही होती
मेरे हर  सवाल में तुम याद रहती
मेरे हर जवाब में तुम साथ रहती

अविनाश सिंह
8010017450

162:-पंक्ति।

मजबूर हूं इस लिए व्यक्त नही देता
घर की  सारी जिम्मेदारी मैं लेता हूं
जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा
दोनो का साथ हमेशा काहो जाएगा

अविनाश सिंह
8010017450

161:-पंक्ति।

करुणा के इसकरुण में जीवन अपना देख
इन मोती सी आँसुओ  को व्यर्थ में  न बेच
क्या कमी थीं क्या गलती हुई न अब सोच
ऐसे बिस्तर में सिमट कर मत जीवन देख।

अविनाश सिंह
8010017450

160:-पंक्ति।

कुछ सपनों के टूटने से  मत इतना घबरा
हिम्मत से  काम ले तू ना  इतना झल्लाह
मुश्किल से कर डट के सामना ये जान ले
आगे बहुत कुछ हैं जिंदगी में यह मान ले

अविनाश सिंह
8010017450

159:-पँक्ति।

करुणा को लिख कर मत कर उजागर
भर दो इस करुणा में खुशियों के गागर
करुणा दिखाकर नही मिलता समाधान
करके मंथन इसपर होगा तभी समाधान

अविनाश सिंह
8010017450

158:-पंक्ति।

उस शब में तेरा इन्तेजार करेंगे
जिसकी गर्दिश घनघोर होगी
तुझसे माजरत के  लिए हम
सुबह से शाम इन्तेजार करेंगे
तेरी मुसर्रत भी क्या खूब होती
मानो फलक में खुदा का नूर है।

अविनाश सिंह
8001017450

157:-पंक्ति।

उठ सुबह वह अंगड़ाई ले रहे
गाँव के लोग खेतों में जा रहे
उन्हें तो आफिस की चिंता हैं
इधर तो लोग सिंचाई कर रहे

अविनाश सिंह
8010017450

156:-पंक्ति।

कुछ हसीन से चेहरे भी रंगीन होते हैं
उप पर लगे  घाव भी गमगीन होते हैं
यह तो देखने का  नज़रिया है सबका
हँसते  चहरे भी दर्द के अधीन होते हैं

अविनाश सिंह
8010017450

155:-पंक्ति।

हरा है और भरा हैं
गाँव सबसे सुनहरा हैं
साफ हैं सफ़ाई हैं
नही किसी में बुराई हैं
दुःख में भी सुख हैं
सबके चहरे हँसमुख हैं

अविनाश सिंह
8010017450

154:-पंक्ति।

करुणा को लिख कर मत कर उजागर
भर दे इस करुणा में खुशियों के गागर
करुणा दिखाकर नही मिलता समाधान
करके मंथन इसपर होगा तभी समाधान

अविनाश सिंह
8010017450

153:-पँक्ति।

खुली जख्म दुनिया नही देख पाती
मरहम पट्टी के जगह नमक लगती
हमें दुनिया से क्या लेकर चलना हैं
अपनो से दुःखों के घाव भर जाते।

अविनाश सिंह
8010017450

152:-पंक्ति।

दर्द भरी मुस्कान लेते चलो
हँसी के गुलदस्ता देते चलो
लोग तो कहेंगे उनका काम है
सबको अपनी यादे देते चलो।

अविनाश सिंह
8010017450

151:-पंक्ति।

दर्द की पहचान तो आँखों मे होती है
घाव तो दुनिया को दिखाने के होते है
समय के साथ तो घाव भी भर जाते है
फिर भी लोग नमक लगाने आ जाते हैं

अविनाश सिंह
8010017450

150:-पंक्ति।

कभी न डर इस अकेलेपन से
लड़ कर जीत इस अंधेरेपन से
कौन कहता है तू डरती है सबसे
बोल दे  मैं हूं  लष्मी बाई हूं अबसे

अविनाश सिंह
8010017450

149:-पँक्ति।

दर्द ने दिल को दर्द देकर पूछा की
दिल के दर्द की दवा क्या है।
दर्द ने भी क्या खूब उत्तर दिया यदि
दिल के दर्द की दवा बन जाती तो
यह मर्ज ही क्या है।
 
अविनाश सिंह
8010017450

148:-पंक्ति

जो गैर हैं वह भी मुश्किल में साथ दे रहे हैं
धर्म मज़हब को छोड़ वह भी आगे आ रहे
यह तो सोच समझ का फर्क है इंसानों में
की हिन्दू धर्म भी मुस्लिमों का साथ दे रहे

अविनाश सिंह
8010017450

147:-पंक्ति।

इस कदर से टूट गए है हम
अपनों से ही रूठ गए है हम
अब खुद से लगने लगा है डर
जब अपनों से धोखा खा गये हम

अविनाश सिंह
8010017450

146:-हाइकु।

श्रावण मास
रिमझिम बारिश
मनमोहक।

कोयल कुक
रंग बिरंगे खेत
आया सावन।

गरजे मेघ
कड़कती बिजली
चले पवन।

कजरी गाये
रोपे धान के खेत
मन को भाये।

चले बहार
रिमझिम फुहार
मिले ठंडक।

सजनी ओढ़े
हरी भरी चुनरी
खोजे साजन।

सुखी धरती
हुई जल से धन्य
आये सुगंध।

सावन माह
भोलेनाथ की पूजा
चढ़ाओ जल।

श्रावण बेला
रिमझिम फुहार
मेघ मल्हार।

साजन देख
सजनी इठलाई
खूब रिझाई।

भोले की भक्ति
राखी का है त्योहार
आया सावन।

पपीहा बोले
कहाँ हो रे साजन
आओ आँगन।

पुतरी पीटे
सखिया झूले झूला
गगन नीला।

हुआ सपना
कागज़ वाली नाव
फिर बनाओ।

दिखे नभ में
काले घने बादल
फिर उजाला।
 
हे भोलेनाथ
तुमसे है ये भक्ति
दो हमें शक्ति।

दुल्हन सजे
छनके पैजनिया
ओढ़े चुनरी।

अविनाश सिंह
8010017450

Saturday, July 11, 2020

145:-पंक्ति।

रंगोली सा परिवार बनें सिंचित हो रंगों से
खिलते रहे सभी  के चेहरे इन्हीं उमंगों से
खुशियों ने डाला है ऐसा अबीर का ये रंग
उमड़ उठा  हैं  सभी जन  के मन में उमंग

अविनाश सिंह
801017450

144:-झूठ का घड़ा।

झूठ का घड़ा 
फूटेगा एक दिन
बस अब दिन को गिन।

जैसे होंगे कर्म
वैसे भरेगा घड़ा।

यदि कर्म रहे ठीक
तो निकलेगा सोना।

यदि कर्म रहे गलत
तो सब कुछ है खोना।

जैसे टूटेगा घड़ा
मन होगा दुख से भरा

इस लिए कर अच्छे कर्म
मिलेगा सुख हर दम।

अविनाश सिंह
8010017450

143:-हे ईश्वर।

हे ईश्वर
गिरा कर तू मुझे उठा दे
स्वपन से तू मुझे जगा दे
देकर मुझे दुर्गा की शक्ति
मुझे तू शक्तिशाली बना दे

हे ईश्वर
ये अबला नारी शब्द हटा दे
सबला  नारी तू मुझे बना दे
जो डराये या  धमकाये मुझे
उसे नर्क की तू राह दिखा दे

हे ईश्वर
अंधेरों में तू उजाला करा दे
जख्म पर मेरे मरहम लगा दे
इतनी शक्ति दे हमें ईश्वर दाता
मन मेरा शीतल जल से भर दे

अविनाश सिंह
8010017450

142:-पंक्ति।

मेरे सर पर मेरे माँ का हाथ है
फिर तो डरने की क्या बात है
अब कोई नही मुझे मलाल है
माँ का  होना  ही  बेमिसाल है

अविनाश सिंह
8010017450

141:-पंक्ति।

तुकबंदी से मैं करूँ कमाल
तभी  कहते मुझे  बेमिसाल

बिन पैसे के की हुई हर दोस्ती
हर रिश्तों में से बेमिसाल होती

यह खवाइस सालो साल रखना
खुद को सबसे बेमिसाल रखना

आग के जलने से ही मशाल बनता
अपने कर्मों से ही बेमिसाल बनता।

जिंदगी से न कोई डर न ही सवाल है
हर कदम हर जवाब मेरे  बेमिसाल है

शायर नही जो हर दिन हर  साल लिखूं
पर ये सत्य है जो लिखूं बेमिसाल लिखूं।

अविनाश सिंह
8010017450

140:-पंक्ति।

कुछ लिख के तुम बनो महान 
मत करो खुद से ही  गुणगान
हर कोई पूछेगा तुमसे सवाल
अच्छा लिख के बनो बेमिसाल

अविनाश सिंह
8010017450

139:-पंक्ति।

बेखौफ चल मुसाफ़िर  बिन किए परवाह
रोटी की तलाश में आया है  शहर की राह
भूखे प्यासे ही जा रहा है शहर से गाँव को
पीके पसीने का घुट पार कर रहा नॉव को

अविनाश सिंह
8010017450

138:-पंक्ति।

जलती धरती,मन मेरा
करता है यह प्रतिशोध
जाने कैसे वो सह लेती
सम्पूर्ण पृथ्वी का बोझ।

अभिव्यक्ति से घबराना कैसा
देना है  जवाब जैसे  को तैसा
बनना है तुम्हे भी प्रकृति जैसा
खुले मन के अभिव्यक्ति जैसा

अविनाश सिंह
8010017450

137:-अभिव्यक्ति।

अभिव्यक्ति से मत घबराओ
मन में न कोई बात  छुपाओ
खुल कर तुम बोलना  सीखो
साथ जमाने के चलना सिखो
तभी होगा नभ में नाम तुम्हरा
बनेगा अलग पहचान तुम्हारा

अभिव्यक्ति  से घबराना  क्यों
लिख या बोल के बताओ तुम
भले कोई सुने या न सुने तुम्हें
मन को  बस साफ रखना तुम
न कभी कोई बात छुपाना तुम

अभिव्यक्ति से  क्यों  घबराओ
मन में जो भी आये कह जाओ
तभी तो असली पहचान बनेगी
सच्चे होने की ये निशान बनेगी।

अविनाश सिंह
8010017450

136:-पंक्ति।

हे भगवान  ऐसी शांति देना हमको
धन कमाने की क्रांति न देना हमको
जितना भी मिला उसी में ख़ुशी देना
2से22बनाने की बुद्धि न देना हमको

अविनाश सिंह
8001017450

135:-पँक्ति।

जो करेगा शादी  वो जाएगा ससुराल
होगा उसे भी यह कोरोना का बवाल
कल ही रात को आया मुझे ये ख्याल
इस लिए नही कर रहा मैं अभी शादी
रहूंगा चैन से न उजड़ेगी मेरी आजादी

अविनाश सिंह
8010017450

134:-पंक्तियां।

जाने किस उम्र की वो  सजा देती है
मेरे टूटने  बिखरने पे वो मजा लेती है
अब किस तरह से अपना दर्द दिखाए
वो कब्र पे आके आज भी हँस लेती है

अविनाश सिंह
8010017450

133:-दुल्हन/बेटी।

घर में भी सुना पड़ा,बेटी का निकाह हुआ
दुल्हन के संग जाने , क्यों ये संहार  हुआ।

जाने कितने सपने, सजाई थी वो शादी के
मेहंदी वाले हाथों को,स्याही से प्यार हुआ।

मिला नही गाड़ी जब, दहेज के समान  में
बेटी पर बैलों जैसा, क्यों अत्याचार हुआ।

सुन ताने साँसु  माँ  के, भरे ले पेट अपना
एक रोटी के लिए क्यों,  दुर्व्यवहार  हुआ।

फूल जैसी नर्म नर्म,हाथों को जब देखा तो
मोतियों के फफोले थे ,तेल से  वार हुआ।

बाई जैसा काम कर, दिन रात एक किया
नही मिला उसे कुछ,हाथों से प्रहार हुआ।

मिला नही सुख चैन,दुःखों का पहाड़ टूटा
जेल जैसा घर में भी, क्यों व्यवहार हुआ।

अविनाश सिंह
8010017450

Thursday, July 9, 2020

132:-आलेख।

नही दे सकते सम्मान तो मत करो पुलिस का अपमान:-अविनाश सिंह

यदि आप डॉक्टर है तो आपका कार्य हैं मरीजों का इलाज करना,वकील है तो आपका कार्य हैं वकालत करना,शिक्षक हैं तो आपको अध्यापन कार्य करना हैं।बात बिल्कुल सही हैं आपको एक कार्य निर्धारित हैं और आपको सरकार उसी कार्य हेतु वेतन दे रही हैं, किन्तु बात जब पुलिस की करते हैं तो समझ ही नही आता की उनका कौन से कार्य हैं हर कार्य में पुलिस ही रहती हैं आखिर क्यों?ऐसा क्यों?,झगड़ा हो तो पुलिस, चोरी हो तो पुलिस,मेले,प्रदर्शनी हो तो,नेता जी का आगमन हो तो पुलिस आखिर ये अन्याय क्यों है पुलिस के साथ।क्या वह इंसान नही?क्या उनका परिवार नही,क्या वो बाल बच्चे वाले नही है? सवाल तो बहुत है और जवाब कुछ नही।इस देश में कोई भी काम हो वह बिना पुलिस प्रसाशन के नही हो सकता। हत्या,डकैती,मर्डर,मेला आयोजन,चुनाव आयोजन,परीक्षा आयोजन से लगाए हर एक काम में पुलिस की आवश्यकता होती हैं। किन्तु उनको उनके हक का ना ही सुविधायें मिलती, न वेतन, न साधन। यह गलत है एक अध्यापक जो छ: घण्टे ड्यूटी करता उसका वेतन भी एक पुलिस वाले से कही अधिक है जो बारह घंटे से अधिक सेवा दे रहे हैं।बात यही तक खत्म नही होती, बात तो तब आहत की बढ़ जाती हैं जब हमारा ये समाज भी उसे गलत नजरिये से देखता हैं अनेकों उल्टे सीधे टिप्पणियां करता हैं।जरा सोचिये एक बार जब कहीं चार दिन पहले मरी लाश मिलती है तो लोग सबसे पहले इन्हें ही फ़ोन करते है और यह समाज तो अपने नाक बन्द करके दूर से देखता है किन्तु यही हमारे योद्धा पुलिस के लोग ही  उसके शिनाख्त से लेकर पंचनामा तक कराते हैं।
हा, यह कहना गलत नही की सभी पुलिस वाले ईमानदार होते हैं,कुछ गलत भी होते हैं एक मछली के खराब होने से तालाब तो दूषित हो जाता किन्तु पूरे तालाब की मछली नही खराब होती। शासन में कुछ खामियां हैं जिसके लिए सरकार प्रयास कर रही सुदृढ़ करने की। जिस प्रकार आज देश में कोरोना एक वैश्विक महामारी हैं तब भी यह पुलिस पीछे नही हटी और देश सेवा के लिए अपने जान को दाव पे लगा कर आपको सुरक्षित कर रही हैं आखिर क्यों यह आपको हमको सोचना चाहिए। किन्तु आज समाज उस पर ही लाठी डंडे से प्रहार कर रहा हैं।यह गलत है, मैं अविनाश सिंह स्वयं एक समाज सेवक और कवि होने के नाते आपसे गुजारिश करता हूं की पुलिस प्रसाशन के प्रति अपने नजरिये में परिवर्तन लाइये,यदि आप पुलिस की मदद नही कर सकते तो उनको भला बुरा नही बोलिये और अच्छे नागरिक होने का परिचय दीजिये।

अविनाश सिंह
8010017450

131:-आलेख।

पत्रकारों का करो सम्माम तभी बनेगा देश महान-अविनाश सिंह। 

कहना बिल्कुल भी गलत नही है की पत्रकारिता हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है। यह हमारे तीनों स्तम्भ की देख रेख कर उचित मार्गदर्शन का कार्य करता हैं।जिस प्रकार हमारे देश में क्राइम बढ़ रहा है उसे लोगों के सामने लाने में यह पत्रकार,मीडिया जगत का अहम किरदार रहता हैं।घटना के होने से लेकर उसके तह में जाने तक,सच की खोज करना,दूध का दूध पानी का पानी करना इनके अहम कार्य होते हैं।
वैसे तो कहने वालो का क्या है लोगों के अनुसार मीडिया और पत्रकार पर अनेकों प्रश्न उठाये जाते हैं किन्तु सत्य यह है की जो नदी की गहराई को नापने की हिम्मत रखता है उसी के पाँव गीले होते हैं।सोच कर रूह कांप जाता है एक पत्रकार के दैनिक जीवन को देखकर,सुबह से शाम तक ख़बर,उसकी पड़ताल करना,हत्या,मर्डर,रेप,चोरी,धमाका जैसी भयावक कार्य इनके रोजमर्रा जीवन में होते हैं।
नेताओं से लेकर मंत्रियों तक का प्रेशर इनपे होता है किन्तु यह अपने कार्य को निष्ठा से निर्वहन करते हैं। आज हमारे देश में कोरोना ऐसी वैश्विक महामारी हैं,लोग घर में हैं किन्तु यह पत्रकार जगत आज भी अपने कार्यों से पीछे नही हैं अपने जान की परवाह किये बिना अपने परिवार को पीछे रख यह देश सेवा में लगे हैं, निरन्तर कोशिश करके हमें हर एक घटना से रूबरू करा रहे है।
इस कड़ी धूप में जब घर से निकलना मुश्किल हैं तब यही पत्रकार और मीडिया जगत गल-गली घूम कर लोगों को कोरोना के राहत सामग्री बाँट रहे हैं,लोगों को जागरूक कर रहे है। गरीब से लगाए आम जनता की आवाज को सुन रहे हैं,मैं अविनाश सिंह स्वयं एक कवि और समाज सेवक होने के नाते इस देश की जनता से निवेदन करता हूं की यदि आप कुछ कर नही सकते तो कम से कम पत्रकारिता जगत का सम्मान करें इनके कार्य को,इनके त्याग को समझे और एक सच्चे नागरिक होने का परिचय दीजिये।

अविनाश सिंह
8010017450

130:-आलेख।

स्वयं की सोच बदलने से आएगा सकारात्मक परिवर्तन:-अविनाश सिंह।

निर्भया कांड,कठुआ रेप, फ़ीर ट्विंकल रेप कांड और अब नया नया है हैदराबाद का डॉ प्रियंका रेड्डी रेप केस।क्या है ये सब क्यों हो रहा है, ये सब आखिर किस कारण से हो रहा है, इसके पीछे की वजह क्या है, क्यों यह बार-बार हर मिनट हर घंटे हर दिन हर महीने हो रहा है,आखिर क्या वजह है कि महिला सुरक्षित नही है अपने घरों में भी। क्या कानूनी व्यवस्था सही नही? क्या हमारे देश का संविधान सही नही? जी नही ऐसा नही है सब कुछ सही होने के बाद भी सबसे बड़ी कमी हमारे समाज की है हमारे समाज के सोच की है जब तक लोगों के मन मे परिवर्तन नही आएगा न तब तक न ये कानून कुछ कर पायेगा न ही संविधान।
मैं अविनाश सिंह स्वयं एक समाज सेवक और लेखक होने के नाते यह महसूस किया हूं कि लोगों के मन मे अनेक प्रकार की गंदगी है जिसे पहले साफ करना होगा तभी कुछ सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। आज 12 साल का लड़का रेप कर रहा उसे संविधान का कखग भी नही पता है उसे नही पता कि इस घिनौनी अपराध को करने के बाद मुझे क्या सजा मिलेगी, किन्तु उसे इस बात का पता है कि मुझे किसी के साथ रेप करना है।आखिर यह सोच कहाँ से आई है मैं नही समझ पाता हूं। समाज के सभी वर्ग गलत हो ये भी उचित नही किन्तु हमें अपने अंदर, लोगों के अंदर एक अच्छे सोच का विकास करना पड़ेगा, दूसरे की बहन को आपनी बहन समझना पड़ेगा। 
चार पंक्ति मैं उन लोगों के लिए लिखता हूं जो कहते है छोटे कपड़े बलात्कार का कारण है उनके लिये- 
कपड़े हमारे छोटे नही है
बस सोच तुम्हारी छोटी है
हम फुल कपड़े भी पहन लिए
फिर भी नज़र तुम्हारी खोटी है।
जी हां यही सत्य है प्रियंका बहन के साथ जो कुछ हुआ उसकी कल्पना करने मात्र से रोंगटे खड़े हो जा रहे है जिस बेटी को समाज मे दुर्गा,लष्मी का नाम दिया जाता है वो आज आग से लिपट रही है। समाज सिर्फ अपनी सोच में परिवर्तन लाये,फिर  कोई कानून और न्याय व्यवस्था की जरूरत ही नही पड़ेगी।आखिर पुलिस प्रसाशन अब और कहाँ तक रहेगी जब गंदगी लोगों के मन में है तो पुलिस भी कहाँ तक सुरक्षित कर पायेगी बहु बेटियों को।"दूसरों की सोच को बदलने में कई वर्ष लगेगा,स्वयं की सोच को बदलने में चंद सेकेंड का समय लगेगा"।जी हां मेरी यह पंक्ति यदि सभी पुरुष वर्ग समझ जाएं तो नव भारत का निर्माण होगा और रेप जैसे अपराध का देश से नामों निशान मिट जाएगा।

अविनाश सिंह
8010017450

129:-आलेख।

सोशल साइट पर फ़ोटो लगाना कोई सच्ची श्रद्धांजलि नही।अविनाश सिंह।

क्या है सच्ची श्रद्धांजलि, जी हां,यह सुनते ही दिमाग में अनेकों ख्याल आने लगता है कि श्रद्धांजलि आखिर हैं क्या ? आज समाज में इसकी परिभाषा बदल गयी हैं। लोगों के पास अब वक्त नही की किसी का दुःख हर सके, उनसे बात कर सकें, उनके मर्ज को समझ सकें।
आज मनुष्य अपने कार्यो में इतना लिप्त हो गया हैं कि उसे अन्य कोई भी चीज़ नही दिखती हैं। किसी भी परिवार के सदस्य के देहांत होने पर उसकी फ़ोटो व्हाटसअप,फेसबुक जैसे न जाने कितने सोशल साइट पर अपलोड की जाती हैं और लिख दिया जाता है भगवान इनकी आत्मा को शांति दें। क्या यह सच्ची श्रद्धांजलि है। जी बिल्कुल नही,यह एक ढोंग हैं दिखावा हैं, ऐसे में लोगों के फ़ोटो पर न जाने कंमेंट आने लगते है,लाइक आने लगते हैं और हर बार इंसान यह चेक करने में मशरूफ़ रहता हैं की कितने लाइक आये कितने कंमेंट हुए हैं।
मैं अविनाश सिंह स्वयं एक समाज सेवक होने के नाते मेरा मानना है सच्चे मन से किसी को याद करना किसी के पुण्य तिथि पर का अर्थ है उसके नाम से कुछ दान करना, गरीबों में कुछ बांटना,उस दिन उसके कार्यों को याद करना,उसके संग बीते पलों को याद करना उन बातों से कुछ सीखना,अपने बच्चों को उनके कार्यो को बता कर बच्चों को उनसे प्रेरणा देना इत्यादि किसी के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
व्हाट्सएप्प पर स्टेटस लगा देने मात्र से, मिस यु लिख देना कोई श्रद्धांजलि नही होती हैं पुराने दिनों में ये सोशल साइट नही था इसका मतलब वो लोग अपने बड़ो का सम्मान नही करते थे।ऐसा नही हैं वो उस दिन को एक अवसर की तरह मानते थे,एक शोक सभा करते थे ।अक्सर देखने को मिलता है हर एक चीज का आज फेसबुक पर पोस्ट मिल जाता है चाहें वह घर के किसी सदस्य का पुण्यतिथि हो,देश के किसी योद्धा का जन्मदिवस हो या कोई भी चीज हो यह गलत हैं ,किसी को याद करना का तात्पर्य मन से होता है न की फ़ोटो लगाने से समाज के लोगों को इसके प्रति अपनी दृष्टिकोण बदलनी पड़ेगी।

अविनाश सिंह
801017450

128:-आलेख।

घर परिवार में दीपक के समान होते है पिता:-अविनाश सिंह।

बचपन में सुना था *जब पिताजी का हो साथ तो फिर डरने की क्या बात* उस वक़्त तो यह एक कहावत सा लगता था किन्तु जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ यह मेरे जीवन में एक दम सही साबित हुआ।यदि पिताजी का आपके ऊपर आशीर्वाद है तो आप जीवन में कभी भी निराश नही हो सकते हैं एक पिता अपने बच्चों के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर देते हैं उनके ऊपर अनेक जिम्मेदारियां होती हैं परिवार से लगाए, घर,खेती,शादी विवाह आदि का, फिर भी वह कभी नही थकते अपनी आँखों में अपने बच्चों के भविष्य के लिए वह सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करते हैं।
पिता का घर में होना ही बहुत बड़ी चीज हैं परिवार और बच्चों का अस्तित्व पिता में होता हैं। बात करूँ मैं स्वयं अपने पिता जी की तो पेशे से सरकारी कर्मचारी है,किन्तु आज तक उन्हें मैं किसी भी चीज का शौक नही पालते देखा,हमेशा से घर के लिये,बच्चों के भविष्य के लिए ही सोचते है। पिता ही घर की नीव हैं वही मंदिर है वही भगवान है वही मस्जिद हैं।
किन्तु आज समाज में बहुत परिवर्तन हो गया हैं आज के समाज के बच्चें अपने परिवार के सदस्यों से न जाने क्यों दूरी बना रहे हैं यह गलत है यदि आपको कोई दिक्कत है या परेशानी तो आप अपने पिता से खुल कर बोलिये वह आपके सच्चे मित्र समान है जिनके पास हर समस्या के ताले की चाबी होती हैं। पिता घर परिवार में एक दीपक के समान होते हैं जैसे दीपक स्वयं जलकर रोशनी देती है उसकी प्रकार पिता जी परिवार के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं ताकि उनकी संतान खुशी से जीवन व्यतीत कर सके।
मैं अविनाश सिंह एक कवि होने के नाते पिताजी के समपर्ण को देखते हुए उन्हें चार पंक्ति समर्पित करता हूं-पुराने कपड़े में उन्हें अक्सर देखा,नही किसी चीज की चाहत देखा,जब भी मैं उनके दिल में झांका,बच्चों के भविष्य की चिंता देखा।कभी कभी आपके विचार आपके बड़ो से नही मेल खाते हैं किन्तु आप उनकी बातों को अनदेखा नही कीजिये आप उनके द्वारा बताये रास्ते पर चलिए निश्चित राह में कांटे मिलेंगे किन्तु एक दिन आपको सफलता जरूर मिलेगी यह मेरा खुद का अनुभव है।

अविनाश सिंह
8010017450

127:-आलेख।

माता पिता से बड़ा जीवन में कोई भी धन नही:- अविनाश सिंह।

बच्चों के जन्म से लेकर उनके बड़े होने तक उनके परवरिश में माता पिता के योगदान को न कभी चुकाया जा सकता, ना खरीदा जा सकता और ना ही उसका कोई मोल है। माता और पिता यह शब्द ही इतना अनमोल हैं जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती। यह देह रूप में हमारे सामने भगवान के रूप में विराजमान हैं बस जरूरत हैं हमें देखने की।
माँ-बाप एक घर की नींव है जिसके सहारे बच्चें आगे बढ़ते हैं,माता पिता बच्चों की खुशी के लिए स्वयं के जीवन को न्योछावर कर देते हैं। बच्चें भले कितने ही बड़े क्यों न हो जाए किन्तु माँ बाप के नजरों में हमेशा बच्चें ही रहते हैं।
एक बच्चा जो कुछ भी सीखता हैं,जीवन में जो कुछ भी हासिल करता हैं उसके जीवन को सींचने का कार्य उसके माता पिता करते हैं।
वह सौभाग्य वाले होते हैं जिनके ऊपर माता-पिता का साया होता है। परिवार में माँ ज्योति है तो पिता प्रकाश है,माँ गीता है तो पिता कुरान। हम जैसे-जैसे बड़े होते है वैसे ही माता पिता के उम्र में गिरावट आती हैं, हम शरीर से मजबूत होते तो वह कमजोर होते हैं। हम जीवन में सब कुछ खरीद सकते हैं किन्तु माता पिता के अदृश्य प्रेम-भाव को कभी नही खरीद सकते हैं। माता पिता अपने बच्चों से कोई ख्वाइश नही रखते हैं सिर्फ उनके बच्चे आगे बढ़े यही कामना करते हैं।
किन्तु आज समाज में परिवर्तन आ रहा हैं बच्चें अपने कर्तव्यों से पीछे हट रहे हैं माँ पिता जी के दिए गए समर्पण को भूल रहे हैं उनके बुढ़ापे की लाठी बनने की बजाय उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ आ रहे हैं जो की गलत हैं, यदि आप उनके पैर नही दबा सकते हैं तो उनके गले को मत दबाइये। माता पिता और बच्चों के विचारों में मदभेद हो जाते हैं किन्तु कभी भी माता पिता से दूरी नही बनाना चाहिए,उन्होंने आपको इस धरती पर लाया हैं,जीवन दिया हैं,इससे बड़ा और क्या दे सकते हैं वह आपको।
मैं *अविनाश सिंह* स्वयं एक कवि होने के नाते कई बार अपने जीवन काल में ऐसी घटना देखता हूँ जब माँ या पिता वृद्ध अवस्था में रोड पर भीख मांगने को मजबूर हो जाते हैं तब मन बहुत द्रवित हो उठता हैं और ऐसे लेख को लिखने के लिए मैं विवश हो जाता हूँ, हमें जीवन में माता पिता का साथ कभी भी किसी भी हाल में नही छोड़ना चाहिए और इस बात का अवश्य ध्यान देना चाहिए की बड़े होकर हम भी एक माता पिता बनेंगे।

अविनाश सिंह
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126:-हाइकु।

पिता हमारे
चाँद और सितारे
लगते न्यारे।

पिता महान
है वो जीवन दान
करो सम्मान।

पिता का प्यार
न दिखता हमेशा
हो एक जैसा।

मुश्किल कार्य
हो जाते है आसान
पिता के साथ।

घर की नींव
भोजन का निवाला
रखते पिता।

पिता के रूप
अदृश्य महक सी
चारों तरफ।

पिता दुलारे
करे मार्गप्रशस्त
जीवन दान।

पिता की डाँट 
सफलता का राज
रखना ध्यान।

घर की शान
रखे सभी का ध्यान
करो सम्मान।

अविनाश सिंह
8010017450

125:-जन्मदिन।

खुशियों का गुलदस्ता हो 
फूलों के  जैसी खुशबू हो
परिवार  जन का स्नेह हो
अपनों का  प्रेम भाव  हो
ऐसे जन्मदिन में प्यार हो।

नई जिंदगी की शुरुआत करें
सभी पुरानी बातों को भूल के
आगे की जिंदगी का पथ बनाये
इस जन्मदिन के पवन से पर्व पे।

हर साल में एक दिन तो खास होता 
उसी दिन आपका भी जन्मदिन होता
इसे जी भर के जी लेना वो मेरे दोस्तों
क्योंकि ये दिन कभी वापस नही होता।

आज कुछ ऐसा करो की साल रहे खास
बेसब्री से जो इंतेजार था वो पल है पास
इस पल को  युही तुम व्यर्थ ना जाने देना
तुम्हारी वजह से है माँबाप के सर पे ताज।

अविनाश सिंह
8001017450

124:-हाइकु

श्रृंगार रस
संयोग और वियोग
है दोनों अंग।

नीम के पत्ते
होते स्वयं में तीखे
गुण अनेक।

जीवन एक
पर रास्ते अनेक
चलो या रुको।

चाट के पढ़ा
अशिक्षित दीमक
सम्पूर्ण बुक।

जल की बून्द
बना देती समुंद्र
स्वयं विलुप्त।

बंगला बना
किया खुद को पैक
जाता है पार्क।

भूख के वक़्त
रोटी लगती बोटी
ठंड ना गर्म।

बेटी की डोली
औरों को लगे हल्की
पिता को भारी।

गर्भ की चीख़
सुनाई कब देती
मारे हत्यारे।

फूलों की हँसी
बादलों का गर्जन
मन मोहक।

अविनाश सिंह
8010017450


123:-हाइकु।

गुरु सम्मान
मिले स्वर्ग में स्थान
बनो महान।

जिसकी डाँट
लगती आशीर्वाद
कहते गुरु।

गुरु महिमा
दे कोयले से सोना
करो सम्मान।

राह दिखाए
अंधकार मिटाए
मान बढ़ाए।

रंक से राजा
अंधेरे से प्रकाश
गुरु बनाते।

लेना है कुछ
गुरु के आगे झुकों
विन्रम बनों।

गुरु का हाथ
कलम के समान
लिखे भविष्य।

गुरु की मार
खींचे जीवन रेखा
होता प्रसाद।

ज्ञान का बीज
कीचड़ में कमल
उगाये गुरु।

मिट्टी से घड़ा
दूधिया से भविष्य
लिख दे गुरु।

भाग्य विधाता
अंधकार मिटाता
मेरा उस्ताद।

गुरु की शिक्षा
सबसे बड़ी दीक्षा
बांध लो मुट्ठी।

मैंने जो पाया
गुरु मार्ग दिखाया
सुख ही सुख।

माँ और पिता
आरंभिक शिक्षक
अंतिम गुरु।

हुआ मैं बड़ा
पर आज भी झुकु
गुरु तो गुरु।

अविनाश सिंह
8010017450

122:-वर्ण पिरामिड।

हे
गुरु
आप है
भगवान
मार्गदर्शक
जीवन रक्षक
हमारे संरक्षक।


मैं
बड़ा 
तो हुआ
पर  झुका
चरण  स्पर्श
कर हुआ धन्य
ना अब कोई गम।


वो
देखो
गरीबी
रोड पर!
गरीब नही
देश का भविष्य
रोड पे सो  रहा है।


वो
सुन
हत्यारे
तू विकास
नाम रख के
होगा पराजय
लगेगी तुझे हाय।


माँ
गंगा
यमुना
सरस्वती
कृष्णा कावेरी
सी होती निर्मल
जीवन कल कल।


माँ
कैसे
बताऊँ
कैसे काटी
वो दिन- रात
जब न थी साथ
जिंदगी थी नरक।


माँ
होती
जननी
अन्नदाता
मेरी विधाता
संतोष की देवी
भविष्य की कलम।


माँ
रोटी
मकान
पकवान
करो सम्मान
बन लो महान
है वो जीवनदान।


माँ
डाँटे
डराये
पुचकारे
गोद उठाये
यही होता प्यार
हो जीवन साकार।


माँ
कहे
हार के
सुन बेटा
मैं हुई बूढ़ी
बन तू सहारा
बेटा दिया नकार।

अविनाश सिंह
8010017450

121:-हाइकु।

पेड़ की छाया
उसके फल-फूल
होते हैं पिता।

धूप में छांंव
गागर में सागर
होते हैं पिता।

उठाये बोझ
जिम्मेदारी से दबे
होते हैं पिता।

घर की खुशी
मंदिर के देवता 
होते हैं पिता।

पिता हमारे
है चाँद और तारे
लगते न्यारे।

पिता महान
दे वो जीवन दान
करो सम्मान। 

पिता का प्यार
न दिखता हमेशा
है एक जैसा।

मुश्किल कार्य
हो जाते है आसान
पिता के साथ।

घर की नींव
भोजन का निवाला
जुटाये पिता।

पिता का रूप
अदृश्य महक सी
चारों तरफ।

पिता दुलारे
करे मार्गप्रशस्त
गुरु समान।

पिता की डाँट 
सफलता का राज
रखना ध्यान।

घर की शान
रखे सभी का ध्यान
करो सम्मान।

अविनाश सिंह
8010017450

120:-हाइकु।

हार या जीत
सिक्के के दो पहलू
ना करो भेद।

हार या जीत
होते मन के भ्रम
भरे अहम।

हार या जीत
कर्म के होते फल
कम या ज्यादा।

जीत या हार
जीवन के दो मंत्र
रहो तैयार।

हार या जीत
गाड़ी-चक्का समान
उलट फेर।

हार या जीत
सावधानी से चुनो
आगे को बढ़ो।

हार या जीत
परिवर्तन शील
नही अडिग।

हार या जीत
न मिले लगातार
करो संघर्ष।

हार या जीत
मिलेगा एक दिन
मान या ठान।

हार या जीत
दे गम या अहम
रहना दूर।

हार या जीत
देगा दुख या सुख
पहले उठ।

हार या जीत
है दीपक के रूप
देता प्रकाश।

अविनाश सिंह
8010017450

हाल के पोस्ट

235:-कविता

 जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ  पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...

जरूर पढ़िए।