Sunday, July 12, 2020

153:-पँक्ति।

खुली जख्म दुनिया नही देख पाती
मरहम पट्टी के जगह नमक लगती
हमें दुनिया से क्या लेकर चलना हैं
अपनो से दुःखों के घाव भर जाते।

अविनाश सिंह
8010017450

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