फूलों का हार
बदल लेता रूप
बनता फंदा।
रोई दुल्हन
विदाई के समय
कैसे हो खुश।
प्रेम का धागा
जब भी है टूटता
हो जाए छोटा।
उसका हार
करता है प्रहार
यही संहार।
दुल्हा तो हँसे
दुल्हन लगी रोने
कैसा रिवाज़।
अविनाश सिंह
8010017450
जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...
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