Sunday, July 19, 2020

212:-हाइकु।

फूलों का हार
बदल लेता रूप
बनता फंदा।

रोई दुल्हन
विदाई के समय
कैसे हो खुश।

प्रेम का धागा
जब भी है टूटता
हो जाए छोटा।

उसका हार
करता है प्रहार
यही संहार।

दुल्हा तो हँसे
दुल्हन लगी रोने
कैसा रिवाज़।

अविनाश सिंह
8010017450

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