Sunday, July 12, 2020

154:-पंक्ति।

करुणा को लिख कर मत कर उजागर
भर दे इस करुणा में खुशियों के गागर
करुणा दिखाकर नही मिलता समाधान
करके मंथन इसपर होगा तभी समाधान

अविनाश सिंह
8010017450

No comments:

Post a Comment

हाल के पोस्ट

235:-कविता

 जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ  पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...

जरूर पढ़िए।