घर परिवार में दीपक के समान होते है पिता:-अविनाश सिंह।
बचपन में सुना था *जब पिताजी का हो साथ तो फिर डरने की क्या बात* उस वक़्त तो यह एक कहावत सा लगता था किन्तु जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ यह मेरे जीवन में एक दम सही साबित हुआ।यदि पिताजी का आपके ऊपर आशीर्वाद है तो आप जीवन में कभी भी निराश नही हो सकते हैं एक पिता अपने बच्चों के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर देते हैं उनके ऊपर अनेक जिम्मेदारियां होती हैं परिवार से लगाए, घर,खेती,शादी विवाह आदि का, फिर भी वह कभी नही थकते अपनी आँखों में अपने बच्चों के भविष्य के लिए वह सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करते हैं।
पिता का घर में होना ही बहुत बड़ी चीज हैं परिवार और बच्चों का अस्तित्व पिता में होता हैं। बात करूँ मैं स्वयं अपने पिता जी की तो पेशे से सरकारी कर्मचारी है,किन्तु आज तक उन्हें मैं किसी भी चीज का शौक नही पालते देखा,हमेशा से घर के लिये,बच्चों के भविष्य के लिए ही सोचते है। पिता ही घर की नीव हैं वही मंदिर है वही भगवान है वही मस्जिद हैं।
किन्तु आज समाज में बहुत परिवर्तन हो गया हैं आज के समाज के बच्चें अपने परिवार के सदस्यों से न जाने क्यों दूरी बना रहे हैं यह गलत है यदि आपको कोई दिक्कत है या परेशानी तो आप अपने पिता से खुल कर बोलिये वह आपके सच्चे मित्र समान है जिनके पास हर समस्या के ताले की चाबी होती हैं। पिता घर परिवार में एक दीपक के समान होते हैं जैसे दीपक स्वयं जलकर रोशनी देती है उसकी प्रकार पिता जी परिवार के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं ताकि उनकी संतान खुशी से जीवन व्यतीत कर सके।
मैं अविनाश सिंह एक कवि होने के नाते पिताजी के समपर्ण को देखते हुए उन्हें चार पंक्ति समर्पित करता हूं-पुराने कपड़े में उन्हें अक्सर देखा,नही किसी चीज की चाहत देखा,जब भी मैं उनके दिल में झांका,बच्चों के भविष्य की चिंता देखा।कभी कभी आपके विचार आपके बड़ो से नही मेल खाते हैं किन्तु आप उनकी बातों को अनदेखा नही कीजिये आप उनके द्वारा बताये रास्ते पर चलिए निश्चित राह में कांटे मिलेंगे किन्तु एक दिन आपको सफलता जरूर मिलेगी यह मेरा खुद का अनुभव है।
अविनाश सिंह
8010017450
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