Monday, July 13, 2020

200:-पंक्ति।

वह सपनें भी कुछ खास होते थें
जिसमें हम और तुम पास होते थें
अक्सर पकड़ लेता मैं हाथ तुम्हारा
भले सपने दिन के ही क्यों न होते थें।

अविनाश सिंह
8010017450

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