Monday, July 13, 2020

197:-पंक्ति।

न रहो उदास कभी तुम मुझे फिक्र होती हैं
दुखी तुम होती और अश्रु  मेरे निकलती हैं
मैं तुम्हारे राह के कांटो को भी चुन लेता हूं
तुम रोती हो जब भी मैं उसे भी सुन लेता हूं

अविनाश सिंह
8010017450

No comments:

Post a Comment

हाल के पोस्ट

235:-कविता

 जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ  पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...

जरूर पढ़िए।