न रहो उदास कभी तुम मुझे फिक्र होती हैं
दुखी तुम होती और अश्रु मेरे निकलती हैं
मैं तुम्हारे राह के कांटो को भी चुन लेता हूं
तुम रोती हो जब भी मैं उसे भी सुन लेता हूं
अविनाश सिंह
8010017450
जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...
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