Thursday, July 9, 2020

129:-आलेख।

सोशल साइट पर फ़ोटो लगाना कोई सच्ची श्रद्धांजलि नही।अविनाश सिंह।

क्या है सच्ची श्रद्धांजलि, जी हां,यह सुनते ही दिमाग में अनेकों ख्याल आने लगता है कि श्रद्धांजलि आखिर हैं क्या ? आज समाज में इसकी परिभाषा बदल गयी हैं। लोगों के पास अब वक्त नही की किसी का दुःख हर सके, उनसे बात कर सकें, उनके मर्ज को समझ सकें।
आज मनुष्य अपने कार्यो में इतना लिप्त हो गया हैं कि उसे अन्य कोई भी चीज़ नही दिखती हैं। किसी भी परिवार के सदस्य के देहांत होने पर उसकी फ़ोटो व्हाटसअप,फेसबुक जैसे न जाने कितने सोशल साइट पर अपलोड की जाती हैं और लिख दिया जाता है भगवान इनकी आत्मा को शांति दें। क्या यह सच्ची श्रद्धांजलि है। जी बिल्कुल नही,यह एक ढोंग हैं दिखावा हैं, ऐसे में लोगों के फ़ोटो पर न जाने कंमेंट आने लगते है,लाइक आने लगते हैं और हर बार इंसान यह चेक करने में मशरूफ़ रहता हैं की कितने लाइक आये कितने कंमेंट हुए हैं।
मैं अविनाश सिंह स्वयं एक समाज सेवक होने के नाते मेरा मानना है सच्चे मन से किसी को याद करना किसी के पुण्य तिथि पर का अर्थ है उसके नाम से कुछ दान करना, गरीबों में कुछ बांटना,उस दिन उसके कार्यों को याद करना,उसके संग बीते पलों को याद करना उन बातों से कुछ सीखना,अपने बच्चों को उनके कार्यो को बता कर बच्चों को उनसे प्रेरणा देना इत्यादि किसी के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
व्हाट्सएप्प पर स्टेटस लगा देने मात्र से, मिस यु लिख देना कोई श्रद्धांजलि नही होती हैं पुराने दिनों में ये सोशल साइट नही था इसका मतलब वो लोग अपने बड़ो का सम्मान नही करते थे।ऐसा नही हैं वो उस दिन को एक अवसर की तरह मानते थे,एक शोक सभा करते थे ।अक्सर देखने को मिलता है हर एक चीज का आज फेसबुक पर पोस्ट मिल जाता है चाहें वह घर के किसी सदस्य का पुण्यतिथि हो,देश के किसी योद्धा का जन्मदिवस हो या कोई भी चीज हो यह गलत हैं ,किसी को याद करना का तात्पर्य मन से होता है न की फ़ोटो लगाने से समाज के लोगों को इसके प्रति अपनी दृष्टिकोण बदलनी पड़ेगी।

अविनाश सिंह
801017450

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