Monday, July 13, 2020

188:-पंक्ति।

अब तो मैं बाहर भी अकेले घूम लेता
बिन बताये घर सब कुछ मैं कर लेता
बस उस कंधे की अक्सर तलाश रहती
जिसपे बैठ मैं दुनिया की सैर कर लेता।

अविनाश सिंह
8010017450

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