Monday, July 13, 2020

194:-पंक्ति।

उस बाग से आज भी चीखें मुझे सुनाई देती हैं
बेगुनाहों की लाशें आज भी मुझे दिखाई देती हैं
बस खुद को बेड़ियों में जकड़ रखा है हम सब ने
वरना बदले की भावना हर आँखों में दिखाई देती हैं

अविनाश सिंह
8010017450

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