रंगोली सा परिवार बनें सिंचित हो रंगों से
खिलते रहे सभी के चेहरे इन्हीं उमंगों से
खुशियों ने डाला है ऐसा अबीर का ये रंग
उमड़ उठा हैं सभी जन के मन में उमंग
अविनाश सिंह
801017450
जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...
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