Thursday, July 9, 2020

122:-वर्ण पिरामिड।

हे
गुरु
आप है
भगवान
मार्गदर्शक
जीवन रक्षक
हमारे संरक्षक।


मैं
बड़ा 
तो हुआ
पर  झुका
चरण  स्पर्श
कर हुआ धन्य
ना अब कोई गम।


वो
देखो
गरीबी
रोड पर!
गरीब नही
देश का भविष्य
रोड पे सो  रहा है।


वो
सुन
हत्यारे
तू विकास
नाम रख के
होगा पराजय
लगेगी तुझे हाय।


माँ
गंगा
यमुना
सरस्वती
कृष्णा कावेरी
सी होती निर्मल
जीवन कल कल।


माँ
कैसे
बताऊँ
कैसे काटी
वो दिन- रात
जब न थी साथ
जिंदगी थी नरक।


माँ
होती
जननी
अन्नदाता
मेरी विधाता
संतोष की देवी
भविष्य की कलम।


माँ
रोटी
मकान
पकवान
करो सम्मान
बन लो महान
है वो जीवनदान।


माँ
डाँटे
डराये
पुचकारे
गोद उठाये
यही होता प्यार
हो जीवन साकार।


माँ
कहे
हार के
सुन बेटा
मैं हुई बूढ़ी
बन तू सहारा
बेटा दिया नकार।

अविनाश सिंह
8010017450

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