घर तो अब भी वही हैं बस वक़्त बदल गया
समाज भी आज वही हैं बस सोच बदल गया
अब तो लोगों से बात करने में भी डर लगता है
जो हमे अमृत देते थे वह अब विष में बदल गया
अविनाश सिंह
801017450
जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...
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