Monday, July 13, 2020

185:-पंक्ति।

घर तो अब भी वही हैं बस वक़्त बदल गया
समाज भी आज वही हैं बस सोच बदल गया
अब तो लोगों से बात करने में भी डर लगता है
जो हमे अमृत देते थे वह अब विष में बदल गया

अविनाश सिंह
801017450

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