Sunday, July 12, 2020

161:-पंक्ति।

करुणा के इसकरुण में जीवन अपना देख
इन मोती सी आँसुओ  को व्यर्थ में  न बेच
क्या कमी थीं क्या गलती हुई न अब सोच
ऐसे बिस्तर में सिमट कर मत जीवन देख।

अविनाश सिंह
8010017450

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