दिल से जो निकले बात वो असर करती है
बिन बहर में लिखे ग़ज़ल कब बसर करती है
ये तो लेखक के दिल और कलम की बात है
वरना मेरे लिखे बिना वो कई सवाल करती है
अविनाश सिंह
801007450
जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...
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