श्रृंगार रस
संयोग और वियोग
है दोनों अंग।
नीम के पत्ते
होते स्वयं में तीखे
गुण अनेक।
जीवन एक
पर रास्ते अनेक
चलो या रुको।
चाट के पढ़ा
अशिक्षित दीमक
सम्पूर्ण बुक।
जल की बून्द
बना देती समुंद्र
स्वयं विलुप्त।
बंगला बना
किया खुद को पैक
जाता है पार्क।
भूख के वक़्त
रोटी लगती बोटी
ठंड ना गर्म।
बेटी की डोली
औरों को लगे हल्की
पिता को भारी।
गर्भ की चीख़
सुनाई कब देती
मारे हत्यारे।
फूलों की हँसी
बादलों का गर्जन
मन मोहक।
अविनाश सिंह
8010017450
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