Monday, July 13, 2020

195:-पंक्ति।

परिंदे  आजाद है आज हम कैद हैं
घर होकर भी हम सब क्यों सैड हैं
हमसे अच्छे तो यह  परिंदे निकले
वरना हम आज भी मैड के मैड हैं।

अविनाश सिंह
8010017450

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