इंसान को इंसान से अब इंसानियत कहाँ
पनप रही है मन में देखों हैवानियत वहाँ
क्यों लोग एक दूसरे के प्रति कट्टर हो रहे
है हिंदुस्तानी फिर क्यों आपस में बँट रहे
अविनाश सिंह
8010017450
जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...
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