शहर में ऐसी तस्वीर आती कहाँ,
जमीन से तो इमारतें दिखती वहाँ
यब तो सौभाग्य है हम गाँव से हैं
शहर में सूर्य किरण दिखती कहाँ।
अविनाश सिंह
8001017450
जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...
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