गुरु सम्मान
मिले स्वर्ग में स्थान
बनो महान।
जिसकी डाँट
लगती आशीर्वाद
कहते गुरु।
गुरु महिमा
दे कोयले से सोना
करो सम्मान।
राह दिखाए
अंधकार मिटाए
मान बढ़ाए।
रंक से राजा
अंधेरे से प्रकाश
गुरु बनाते।
लेना है कुछ
गुरु के आगे झुकों
विन्रम बनों।
गुरु का हाथ
कलम के समान
लिखे भविष्य।
गुरु की मार
खींचे जीवन रेखा
होता प्रसाद।
ज्ञान का बीज
कीचड़ में कमल
उगाये गुरु।
मिट्टी से घड़ा
दूधिया से भविष्य
लिख दे गुरु।
भाग्य विधाता
अंधकार मिटाता
मेरा उस्ताद।
गुरु की शिक्षा
सबसे बड़ी दीक्षा
बांध लो मुट्ठी।
मैंने जो पाया
गुरु मार्ग दिखाया
सुख ही सुख।
माँ और पिता
आरंभिक शिक्षक
अंतिम गुरु।
हुआ मैं बड़ा
पर आज भी झुकु
गुरु तो गुरु।
अविनाश सिंह
8010017450
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