Thursday, July 9, 2020

127:-आलेख।

माता पिता से बड़ा जीवन में कोई भी धन नही:- अविनाश सिंह।

बच्चों के जन्म से लेकर उनके बड़े होने तक उनके परवरिश में माता पिता के योगदान को न कभी चुकाया जा सकता, ना खरीदा जा सकता और ना ही उसका कोई मोल है। माता और पिता यह शब्द ही इतना अनमोल हैं जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती। यह देह रूप में हमारे सामने भगवान के रूप में विराजमान हैं बस जरूरत हैं हमें देखने की।
माँ-बाप एक घर की नींव है जिसके सहारे बच्चें आगे बढ़ते हैं,माता पिता बच्चों की खुशी के लिए स्वयं के जीवन को न्योछावर कर देते हैं। बच्चें भले कितने ही बड़े क्यों न हो जाए किन्तु माँ बाप के नजरों में हमेशा बच्चें ही रहते हैं।
एक बच्चा जो कुछ भी सीखता हैं,जीवन में जो कुछ भी हासिल करता हैं उसके जीवन को सींचने का कार्य उसके माता पिता करते हैं।
वह सौभाग्य वाले होते हैं जिनके ऊपर माता-पिता का साया होता है। परिवार में माँ ज्योति है तो पिता प्रकाश है,माँ गीता है तो पिता कुरान। हम जैसे-जैसे बड़े होते है वैसे ही माता पिता के उम्र में गिरावट आती हैं, हम शरीर से मजबूत होते तो वह कमजोर होते हैं। हम जीवन में सब कुछ खरीद सकते हैं किन्तु माता पिता के अदृश्य प्रेम-भाव को कभी नही खरीद सकते हैं। माता पिता अपने बच्चों से कोई ख्वाइश नही रखते हैं सिर्फ उनके बच्चे आगे बढ़े यही कामना करते हैं।
किन्तु आज समाज में परिवर्तन आ रहा हैं बच्चें अपने कर्तव्यों से पीछे हट रहे हैं माँ पिता जी के दिए गए समर्पण को भूल रहे हैं उनके बुढ़ापे की लाठी बनने की बजाय उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ आ रहे हैं जो की गलत हैं, यदि आप उनके पैर नही दबा सकते हैं तो उनके गले को मत दबाइये। माता पिता और बच्चों के विचारों में मदभेद हो जाते हैं किन्तु कभी भी माता पिता से दूरी नही बनाना चाहिए,उन्होंने आपको इस धरती पर लाया हैं,जीवन दिया हैं,इससे बड़ा और क्या दे सकते हैं वह आपको।
मैं *अविनाश सिंह* स्वयं एक कवि होने के नाते कई बार अपने जीवन काल में ऐसी घटना देखता हूँ जब माँ या पिता वृद्ध अवस्था में रोड पर भीख मांगने को मजबूर हो जाते हैं तब मन बहुत द्रवित हो उठता हैं और ऐसे लेख को लिखने के लिए मैं विवश हो जाता हूँ, हमें जीवन में माता पिता का साथ कभी भी किसी भी हाल में नही छोड़ना चाहिए और इस बात का अवश्य ध्यान देना चाहिए की बड़े होकर हम भी एक माता पिता बनेंगे।

अविनाश सिंह
8010017450

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