Sunday, July 12, 2020

150:-पंक्ति।

कभी न डर इस अकेलेपन से
लड़ कर जीत इस अंधेरेपन से
कौन कहता है तू डरती है सबसे
बोल दे  मैं हूं  लष्मी बाई हूं अबसे

अविनाश सिंह
8010017450

No comments:

Post a Comment

हाल के पोस्ट

235:-कविता

 जब भी सोया तब खोया हूं अब जग के कुछ  पाना है युही रातों को देखे जो सपने जग कर अब पूरा करना है कैसे आये नींद मुझे अबकी ऊंचे जो मेरे सभी सपने...

जरूर पढ़िए।