Monday, July 13, 2020

192:-पंक्ति।

पिताजी के सामने झुकने का मजा ही कुछ और है
जितना मैं झुकता हूँ उतना ही अधिक सीखता हूं
जो दुनिया उनके कंधों पे बैठ कर देख लिया मैंने
उसे आज देखने के खातिर मैं दर दर भटकता हूं

अविनाश सिंह
8010017450

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