पेड़ की छाया
उसके फल-फूल
होते हैं पिता।
धूप में छांंव
गागर में सागर
होते हैं पिता।
उठाये बोझ
जिम्मेदारी से दबे
होते हैं पिता।
घर की खुशी
मंदिर के देवता
होते हैं पिता।
पिता हमारे
है चाँद और तारे
लगते न्यारे।
पिता महान
दे वो जीवन दान
करो सम्मान।
पिता का प्यार
न दिखता हमेशा
है एक जैसा।
मुश्किल कार्य
हो जाते है आसान
पिता के साथ।
घर की नींव
भोजन का निवाला
जुटाये पिता।
पिता का रूप
अदृश्य महक सी
चारों तरफ।
पिता दुलारे
करे मार्गप्रशस्त
गुरु समान।
पिता की डाँट
सफलता का राज
रखना ध्यान।
घर की शान
रखे सभी का ध्यान
करो सम्मान।
अविनाश सिंह
8010017450
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