Saturday, August 1, 2020

226:-आलेख।

21 वर्ष बाद निर्दोषों के शहादत का बदला लिए थे वीर क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह।
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए नर संहार को आज भी सोच कर रूह काँप उठता हैं जिसमें कई सौ निर्दोष परिवार ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी और कई हजार लोग घायल हो गए थे। इतना ही नहीं कई लोग वहाँ के कुँए में कूद गए थे अपनी जान बचाने के लिए, इस नरसंहार की गूँज आज भी वहाँ के लोगों को सुनाई देती हैं।पंजाब के जनरल डायर ने लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाने का आर्डर दे दिया था,उसी बाग में एक थे उधम सिंह जो वहाँ पानी पिलाने का कार्य कर रहे थे उन्होंने इस घटना को सामने से देखा था और इस घिनोने कृत का बदला लेने की कसम खाई थी।
सरदार उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब में हुआ था बचपन में ही माता पिता का साया सर से उठ गया था और उन्होंने अपनी आधी से अधिक जिंदगी अनाथ आश्रम में बिताया था,जैसा उनका बचपन में शेर सिंह नाम था वह स्वभाव से भी निडर और साहसी थे, वह सभी धर्मो में विश्वास रखते थे इसलिए उन्होंने अपना नाम राम सिंह मोहम्मद आज़ाद रख लिया था।
उन्होंने जलियांवाला बाग का बदला 21 साल बाद लंदन जा कर लिया था जिसके लिए वह 1934 में ही लंदन पहुँच गए थे उन्होंने डायर को भरी सभा में गोलियों से छलनी कर दिया और जलियांवाला में शहीदों का बदला लिया था। हालांकि वह वहां से भागने में नाकाम रहे और 4 जून 1940 को उन्हें दोषी करार देकर 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।
आज उधम सिंह के बलिदान दिवस पर पूरे देश उन्हें नमन कर रहा हैं और देश को ऐसे ही वीरों की आवश्यकता हैं जो देशहित के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दे। वह साहस शौर्य और पराक्रम से परिपूर्ण थे जिन्होंने 13 अप्रैल का बदला 21 साल बाद लिया था आज सम्पूर्ण भारत उनके शहीद दिवस पर उन्हें कोटि कोटि नमन कर रहा हैं।

अविनाश सिंह
8010017450

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