Saturday, August 1, 2020

225:-आलेख।

बेहतर शरीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है योग साधना।
जिस प्रकार हमें जीने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती हैं पीने के लिए जल की,ठीक उसी प्रकार हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिए योग करना अति महत्वपूर्ण होता हैं। योग को एक साधना के रूप में करना चाहिए,जिसको नियमित रूप में करने से शरीर स्वस्थ और निरोग रहता हैं। योग करने का मतलब सिर्फ योग सीखना ही नही हैं अपितु योग मतलब स्वयं को पहचानना, आत्मा की शुद्धि करना स्वयं को स्वस्थ रखना होता हैं,अपनी दैनिक दिनचर्या तय करना होता है।
योग से एक दिन में आपको कोई भी लाभ नही दिखने वाला हैं यह नियमित रूप से करने की प्रक्रिया है जिसमें आपको प्रातः सूर्य नमस्कार करना चाहिए,योग करने मात्र से सिर्फ शरीर ही नही स्वस्थ रहता बल्कि आप स्वयं को प्रसन्नचित मुद्रा में देखेंगे, आपके अंदर सकारात्मकता का विकास होगा,आप स्वयं को फुर्तीला महसूस करेंगे और आप मानसिक तनाव से दूर रहेंगे। आज कोरोना काल में सभी को यह नसीहत दी जा रही हैं स्वयं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को,ताकि आप कोरोना से लड़ सके,यदि आप नियमति योग करते है तो आप रोगमुक्त हैं।
योगा करने का सबसे उत्तम समय होता है सूर्य निकलने से पहले और सूर्य ढलने के बाद, दिन में किसी प्रकार का भी योग नही करना चाहिए,यह सत्य ही कहा गया है '' स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिक का निवास होता है ''। "करो योग रहो निरोग"।आज योग के माध्यम से भयानक से भयानक बीमारी का इलाज किया जा रहा हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी भी नियमित योगा करते है और स्वयं को चुस्त दुरुस्त रखते है। योग करने से अच्छे विचारों का मन में स्फुटन होता हैं और मन शांत और प्रसन्न रहता हैं।
इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में योग अत्यंत महत्वपूर्ण  और लाभकारी साबित है,किन्तु योग करने से पहले व्यक्ति को योग के सभी नियम,हानि लाभ आदि का ज्ञान होना जरूरी होता हैं।इस समय सरकार और कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियो द्वारा अनेक तरह के कार्य किये जा रहे हैं विभिन्न संस्थान और सबसे ऊपर डॉक्टर और पुलिस कर्मी के द्वारा किये गए कार्य सबसे महत्वपूर्ण हैं,वे अपनी जान जोखिम में डालकर हम सब को बचा रहे हैं इस लिए हमारा भी यह फर्ज बनता है उन्हें सम्मान दे, हम घर पर रहे और सरकार द्वारा तय नियमों का पालन करें सिर्फ योग करने से आप सफल नागरिक नही बन सकते हैं योगिक क्रिया को दैनिक जीवन में शामिल करना ही काफी नही हैं हमारा व्यवहार भी इस काल में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

अविनाश सिंह
8010017450

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