Saturday, August 8, 2020

230:-पंक्ति।

 भले मैं खुद मिट जाऊंगा

पर तुम सबको बचाऊंगा

भले खुद वापस ना आऊँ

पर तुमको वापस लाऊंगा


सावन की मेंहदी  फीकी न पड़ी थी

पर जाने तुम अब कहाँ को चले गए

अभी तो नन्ही जान को  न देखा था

फिर रूठ कर इतने दूर क्यो चले गए

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

अविनाश सिंह

8010017450

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